सूरज ढलते ही शुरू हो जाता है छापामार युद्ध

कबाड़ के गोदामोंं में बिछाई जाती है विशात काल चिंतन कार्यालय वैढ़न,सिंगरौली। देश में जब राजतंत्र था उस जमाने की बात है कि शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह का गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का छापामार युद्ध मुगलों की नाक में दम कर दिया था। हजारों की सेनाओं को इन्हें पकड़ने के लिए नाको चने चबाना पड़ता था फिर भी यह हाथ नहीं आते थे। देश की इस युद्ध प्रणाली को सिंगरौली जिले में इस समय कबाड़ माफियाओं ने अपना रखा है। एक तो एनसीएल की खदानों में तैनात सिक्योरिटी की लचर प्रणाली तो दूसरी तरफ गोरिल्ला युद्ध का आक्रमण नतीजा यह होता है कि रातों रात एनसीएल की खदानों की लाखों की संपदा कबाड़ी गैंग के हाथों में आ जाती है। भोर होते-होते वह कबाड़ियों के गोदामों में पहुंच जाती है।  सिंगरौली जिले में इस समय सीकेडी के कारनामें चरम पर पहुंच रहे हैं। जिधर देखिये उधर पान की गुमतियों की तरह कबाड़ के गोदाम नजर आयेंगे। कबाड़ के सरगना उत्तर प्रदेश से चलते हैं और मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की खदानों, यहां के रिहासयशी इलाकों तथा व्यक्तिगत संस्थानों में हाथ साफ करते हैं। मध्य प्रदेश में भी गोदाम बने हुये हैं। अनपरा से लेकर मोरवा तक अनपरा, बीना, खड़िया, अम्बेडकर नगर से लेकर वैढ़न तक कबाड़ियों क नेटवर्क इतना तगड़ा है कि कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करता। एक दूसरे से मिलकर काम करते हैं। मध्य प्रदेश के कुछ कबाड़ियों के सामान इंडस्ट्रीयल स्टेट बलियरी में संचालित मुल्ला कबाड़ी के पुत्र के गोदाम में पहुंचते हैं। इसी तरह जयंत, नवानगर, मोरवा क्षेत्र के कबाड़ियों के सामान अनपरा तक पहुंचते हैं। खनहना बैरियर को क्रास करते ही एक बड़ा सा गोदाम कबाड़ का नजर आयेगा। यह माफिया सरगना मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर अपने नेटवर्क को फैला चुका है।  एनसीएल की खदनों में तैनात प्राइवेट सिक्योरिटी के सुरक्षा गार्ड हाड़ को कंपा देने वाली ठण्डी में कोयला जलाकर, कम्बल ओढ़कर अपने प्वाइंट पर किसी कोने में बैठ जाते हैं। तकरीबन खदनों में जो प्वाइंट बने हुये हैं। सभी खदानों में यही स्थिति है। वहां पर जो भी आर्म्स सुरक्षा गार्ड या डण्डा मैन तैनात किये गये हैं उनकी स्थिति यही है। प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को संचालित करने वाले नुमाइंदों से कबाड़यिों के आकाओं की अच्छी सांठ-गांठ की खबर है। सोने में सुहागा यह है कि इस सारी लूटमार में पुलिस की मूक सहमति हासिल हो रही है।