कोरोना से सुरक्षा के लिए हर साल लेनी पड़ सकती है तीन खुराक



नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ यदि बूस्टर शॉट्स के प्रभाव को लेकर शुरुआती परिणाम उपयोगी साबित होते हैं तो ऑस्ट्रेलियाई लोग सुरक्षित रहने के लिए हर साल दो या तीन कोविड टीका लेंगे। इंग्लैंड की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी द्वारा क्रिसमस से ठीक पहले प्रकाशित साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फाइजर और मॉडर्न बूस्टर दोनों की प्रभावशीलता डेल्टा संस्करण की तुलना में ओमीक्रॉन के लिए काफी कम है।विश्लेषण में इंग्लैंड में 1,47,597 डेल्टा और 68,489 ओमीक्रोन के मामले शामिल किए गए थे। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि 'परिणामों की व्याख्या सावधानी के साथ की जानी चाहिए क्योंकि कम संख्या और आबादी से संबंधित पहले के अनुभवों को ओमीक्रोन (यात्रियों और उनके करीबी संपर्कों सहित) के लिए सर्वाधिक खतरनाक माना जाना चाहिए। हालांकि इस बारे में पूरी तरह से हिसाब नहीं किया जा सकता है।Óइंग्लैंड के आंकड़ों से पता चला है कि डेल्टा स्वरूप के मामले में फाइजर और मॉडर्न बूस्टर के दोनों खुराक नौ सप्ताह तक प्रभावी थीं। इसके विपरीत, ओमीक्रोन के मामले में इन खुराकों का प्रभाव 30त्न कम रहा और यह नौ सप्ताह के बाद और कम होता चला गया। इज़रायल ने पहले से ही चौथी खुराक देना शुरू कर दिया है और कम से कम एक अमेरिकी चिकित्सा केंद्र अपने कर्मचारियों के लिए दूसरा बूस्टर डोज (चौथी खुराक) देने पर विचार कर रहा है।कर्टिन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य की प्रोफेसर जया दंतस ने कहा कि टीकाकरण की प्रभावशीलता को समझने के लिए अभी शुरुआती दिन है लेकिन 'ऐसा प्रतीत होता है कि नियमित रूप से बूस्टर डोज लेने की आवश्यकता हो सकती है।Ó ज्ञात है कि कोरोना वायरस के अब तक 11 स्वरूपों का जन्म हो चुका है, जिसमें डेल्टा और अब ओमीक्रोन सबसे अधिक संक्रामक हैं। उनमें से दस उपभेद दुनिया के विकासशील हिस्सों में उभरे थे। दंतस ने कहा, 'हमारे पास वैक्सीन लगाने के मामले में भारी असमानता है। इसमें और असमानता आने की संभावना है क्योंकि समृद्ध देशों में बूस्टर की मांग बढ़ रही है। अफ्रीका के कई हिस्सों में अब तक एक भी खुराक नहीं लगाई गई है या टीकाकरण का स्तर बहुत नीचे है।Ó