भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का १३७वां स्थापना दिवस भव्य रुप से सदस्यता महाअभियान के साथ मनाया गया

 



काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। आज दिनांक २८ दिसंबर २०२१ को जिला कांग्रेस कमेटी सिंगरौली शहर कार्यालय बिलौंजी वैढन में आनंद अहिरवार पूर्व संसद सदस्य एवं प्रभारी सिंगरौली के मुख्य आतिथ्य एवं जिला कांग्रेस कमेटी सिंगरौली शहर व ग्रामीण के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का १३७ वां स्थापना दिवस बड़े ही भव्य रुप से बैंड बाजे के साथ पार्टी का ध्वज फहरा कर सेवादल के पदाधिकारियों द्वारा सलामी देते हुए राष्ट्रगान के साथ व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक ए ओ ह्यूम, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं भारत रत्न प्रथम कानून मंत्री डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए मनाया गया । इस दौरान सर्वप्रथम प्रवक्ता गणों में मोहम्मद मिनाज खान शाहनवाज ब्लॉक अध्यक्ष वैढन, श्री रुपेश चंद्र पांडे मुख्य संगठक सेवादल ग्रामीण  पंकज पांडे अध्यक्ष एनएसयूआई सिंगरौली निखत बानो जिलाध्यक्ष सेवादल ग्रामीण महिला  सोमदेव ब्रह्म सचिव प्रदेश कांग्रेस श्रीमती रेनू शाह पूर्व महापौर  ज्ञानेंद्र द्विवेदी ग्रामीण महामंत्री श्री राम अशोक शर्मा कार्यवाहक अध्यक्ष ग्रामीण राजेंद्र सिंह भदोरिया  मानिक सिंह  पूर्व सांसद इसी तारतम्य में उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अरविंद सिंह चंदेल अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी सिंगरौली शहर द्वारा अपने वक्तव्य में बताया गया कि कांग्रेस का गठन  २८ दिसंबर १८८५ को किया गया था इसका श्रेय श्री एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम को जाता है।  वो अंग्रेजी शासन के सबसे प्रतिष्ठित बंगाल सिविल सेवा में पास होकर साल १८४९ में ब्रिटिश सरकार के एक अधिकारी बने थे। १८५७ की क्रान्ति के वक्त वो इटावा के कलेक्टर थे। लेकिन श्री ए ओ ह्यूम ने खुद ब्रटिश सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई और १८८२ में अपने पद से अवकाश ले लिया और कांग्रेस यूनियन का गठन किया। मुंबई में कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ। पार्टी की अध्यक्षता करने का पहला मौका कलकत्ता हाईकोर्ट के बैरिस्टर श्री व्योमेश चन्द्र बनर्जी को मिला था। साल १९२९ में ऐतिहासिक लाहौर सम्मेलन में  पंडीत जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया। पहले विश्व युद्ध के बाद पार्टी में स्वतंत्र भारत के इतिहास में कांग्रेस सबसे मज़बूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी। राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी की हत्या और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के निधन के बाद पंडीत जवाहरलाल नेहरु के करिश्माई नेतृत्व में पार्टी ने पहले संसदीय चुनावों में अपार सफलता हासिल की और ये सिलसिला १९६७ तक लगातार चलता रहा। पहले प्रधानमंत्री के तौर पर पंडीत नेहरू ने धर्म निरपेक्षता, आर्थिक समाजवाद और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति को सरकार का मुख्य आधार बनाया जो कांग्रेस पार्टी की पहचान बनी। नेहरू जी की अगुआई में १९५२, १९५७ और १९६२ के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अकेले दम पर बहुमत प्राप्त करने में सफलता पाई। साल १९६४ में पंडीत जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के हाथों में कांग्रेस की कमान सौंपी गई लेकिन उनकी भी १९६६ में ताशकंद में रहस्यमय हालात में मौत हो गई। श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद पार्टी की अध्यक्षता श्रीमती इंदिरा गांधी जी को सौप दी गई।