मप्र में आरपटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने वाले हर मरीज का जीनोम सिक्वेंसिंग कराने का आदेश, लेकिन प्रदेश में लैब नहीं



जबलपुर। कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर मध्यप्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है। इसे रोकने के सफल फार्मूले टेस्ट, ट्रैक व ट्रीट पर अमल करने का निर्णय लिया गया है। अब प्रदेश में आरटी-पीसीआर में कोविड पॉजिटिव आने वाले सभी संक्रमितों की जीनोम सिक्वेसिंग कराने का निर्णय लिया गया है, लेकिन बड़ा संकट समय पर रिपोर्ट मिलने को लेकर है। दिल्ली से इसकी रिपोर्ट मिलने में ही एक महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है। इंदौर में जीनोम सिक्वेसिंग लैब बननी थी, लेकिन चार महीने बाद भी तैयार नहीं हो सकी।प्रदेश में अक्टूबर की तुलना में नवंबर के आखिरी दिनों में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ये वो समय है, जब राज्य सरकार ने सब कुछ खोल दिया था और कोविड को लेकर लगाई गई तमाम पाबंदियों को हटा लिया था। बीते दिनों में प्रदेश में कोविड के 200 मामले सामने आए। इसमें भोपाल में सबसे अधिक 87 तो दूसरे इंदौर दूसरे नंबर पर रहा। जबलपुर में भी इस दौरान 10 केस सामने आए। कोविड के बढ़ते मामले और ओमिक्रॉन की आशंका के बीच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अहम निर्णय लिया है।

हर जिले से जीनोम सिक्वेसिंग के लिए भेजा जाएगा सैंपल: संचालक लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मध्यप्रदेश भोपाल रवींद्र कुमार चौधरी ने प्रदेश के सभी कलेक्टर, सभी मेडिकल कॉलेज के डीन, सीएमएचओ, सिविल सर्जन को निर्देश दिया है। कहा है कि वे अपने यहां कोविड की आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने वाले संक्रमितों की अनिवार्य रूप से जीनोम सिक्वेसिंग के लिए सैंपल भिजवाए। 30 नवंबर को जारी आदेश में स्पष्ट रूप से चेताया गया है कि देश में कोविड के मामलों में भले ही कमी हो, लेकिन एमपीमें हाल के दिनों में केस बढ़ रहे हैं, जो चिंता की बात है। ओमिक्रॉन को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश में सभी कोविड-19 के पॉजिटिव लोगों का जीनोम सिक्वेसिंग कराया जाए।

हेल्थ विभाग का थ्री-टी पर जोर: हेल्थ विभाग की रिपोर्ट में साफ निर्देश दिए गए हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दर्शाए गए प्रमुख उपायों में शामिल थ्री-टी (टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट) की रणनीति से ही कोविड के ओमिक्रॉन को भी हराया जा सकता है। जीनोम सिक्वेसिंग की रिपोर्ट में मिले कोविड वेरिएंट को चिन्हित कर तत्काल ट्रेसिंग करते हुए कोविड की संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए लिए जरूरी सर्विलेंस गतिविधियों का पालन कड़ाई से किया जाए।

जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट मिलने में लग जाता है महीना: देश में जीनोम सिक्वेसिंग के लिए नाम मात्र के लैब हैं। जबलपुर सहित एमपी का जीनोम सिक्वेसिंग का सैंपल ढ्ढष्टरूक्र के माध्यम से दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल भेजा जाता है। जुलाई में डेल्टा वेरिएंट को लेकर 6 सैंपल भेजे गए थे, लेकिन इसकी रिपोर्ट एक महीने बाद मिली थी। सीएमएचओ डॉक्टर रत्नेश कुररिया के मुताबिक रिपोर्ट भले ही देरी से मिलती है, लेकिन ऐसे मरीज विभाग की निगरानी में रखे जाते हैं। अभी केस कम आ रहे हैं और ओमिक्रॉन वैरिएंट को देखते हुए आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव आने वाले सभी सैंपल भेजने के निर्देश मिले हैं।