378 दिन बाद किसान आंदोलन खत्म, ११ दिसम्बर को फतेह मार्च



चंडीगढ़।  दिल्ली बॉर्डर पर 378 दिन से चल रहा किसान आंदोलन खत्म कर दिया गया है। किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं। हालांकि, यह मोर्चे का अंत नहीं है। हमने इसे स्थगित किया है। 15 जनवरी को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की फिर मीटिंग होगी। जिसमें आंदोलन की समीक्षा करेंगे। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।वहीं, आंदोलन की अगुआई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने अपना कार्यक्रम भी बना लिया है। जिसमें 11 दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए फतेह मार्च होगा। सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे। 13 दिसंबर को पंजाब के 32 संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में मत्था टेकेंगे। उसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब में करीब 113 जगहों पर लगे मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे। हरियाणा के 28 किसान संगठन भी अलग से रणनीति बना चुके हैं।

इन मुद्दों पर बनी सहमति

एमएसपी: केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे। अभी जिन फसलों पर एमएसपी मिल रही है, वह जारी रहेगी। एमएसपी पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा।

केस वापसी : हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे।

मुआवजा: मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है।

बिजली बिल: बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी।

प्रदूषण कानून : प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी। जिसमें किसानों को कैद नहीं, लेकिन जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी।