देश की पहली साइबर तहसील बनेगी मप्र में




शिवराज कैबिनेट में लिया गया निर्णय, हाईटेक राजस्व कोर्ट का होगा गठन

भोपाल। अब प्रॉपर्टी और जमीनों के अविवादित नामांतरण के लंबित मामलों का निराकरण करने के लिए मप्र में अलग साइबर तहसील यानी हाईटेक राजस्व कोर्ट का गठन होगा। यह निर्णय मंगलवार को शिवराज कैबिनेट ने लिया है। राजस्व विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक, हर दो जिलों के बीच एक साइबर तहसील बनेगी। इसमें पक्षकारों के बयान ऑनलाइन होंगे।कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए गृह मंत्री और सरकार के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा, जहां साइबर तहसील का गठन किया जा रहा है। इसके लिए अलग से तहसीलदार नियुक्त किया जाएगा। इस व्यवस्था में खरीदार और बेचने वाले को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आवेदन के बाद तहसीलदार नोटिस जारी करेगा। आपत्ति नहीं आने पर नामांतरण कर दिया जाएगा।राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अविवादित नामांतरण के हजारों मामले संबंधित व्यक्तियों के राजस्व न्यायालय में उपस्थित नहीं होने की वजह से लंबित हैं। भूमि या प्लॉट बेचने के बाद विक्रेता रुचि नहीं लेते हैं। ऐसे मामलों के तेजी से निराकरण के लिए अब प्रदेश में साइबर तहसील की स्थापना की जाएगी। यह दो जिलों में एक हो सकती है। प्रस्ताव के मुताबिक तहसीलदार आवेदन प्राप्त होने के बाद संबंधितों को नोटिस जारी करेगा। कोई आपत्ति नहीं होने पर आदेश पारित कर देगा।कृषि उपयोग के लिए पट्‌टे की जमीन बेचने का प्रस्ताव कैबिनेट में होल्ड कर दिया गया। कैबिनेट ने यह निर्णय लिया है कि मंत्री समूह में ये मामला जाएगा। इसके बाद ही इसे पास किया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो प्रदेश में जिन लोगों को कृषि उपयोग के लिए जमीन पट्‌टे पर दी गई है और स्वामित्व मिल चुका है, अब वे जमीन बेच सकेंगे, हालांकि विशेष परिस्थितियों में कलेक्टर की अनुमति से जमीन बेची जा सकती थी, लेकिन प्रस्ताव पास होने पर इसकी अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी। इसके लिए राजस्व विभाग ने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट में भेजा था। इस पर चर्चा के बाद मंजूरी दे दी गई है। इसका पास होना बाकी है।प्रस्ताव विधेयक के मुताबिक, जिन लोगों को कृषि उपयोग के लिए सरकारी जमीन पट्टे पर दी गई है, इसका स्वामित्व मिले 10 साल हो गए हैं, उन्हें अब जमीन बेचने का अधिकार दिया जाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता में संशोधन करने के लिए कैबिनेट मंजूरी देगी।प्रस्ताव के मुताबिक, जो व्यक्ति पट्‌टे की जमीन खरीदेगा, उसे बजार दर के हिसाब से 5त्न राशि सरकार के खजाने में जमा करना होगी। इसके अलावा, जो जमीन पहले बेच दी गई है, लेकिन उसे मान्यता नहीं दी गई है, उसका 5त्न सरकारी खजाने में जमा करके मान्य करा सकते हैं। इसके साथ ही, बंधक भूमि का उल्लेख भू-अभिलेख में किए जाने का प्रावधान भी किया जाएगा, हालांकि इसके लिए संबंधित बैंक या वित्तीय संस्था को आवेदन देना होगा।