कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों में पास



 पिछले सत्र में हंगामा करने वाले 12 राज्यसभा सांसद निलंबित

नई दिल्ली। संसद के विंटर सेशन के पहले दिन ही कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों में पास हो गया है। यह बिल अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके तुरंत बाद ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच ही बिल राज्यसभा में पास हुआ। वहीं, लोकसभा कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।लोकसभा में विंटर सेशन शुरू होते ही कृषि मंत्री तोमर ने कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया, जो पास भी हो गया। इसके बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कानून वापसी पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्ष से कहा कि आप चर्चा चाहते हैं तो हम वो करवाने को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष ने नारेबाजी जारी रखी।

राज्यसभा से 12 सांसद निलंबित

राज्यसभा के 12 सांसद निलंबित कर दिए गए हैं। इनमें सीपीएम के एलाराम करीम, कांग्रेस के फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम, टीएमसी  नेता डोला सेन और शांता छेत्री और शिवसेना के प्रियंका चतुर्वेदी व अनिल देसाई शामिल हैं। मानसून सत्र के दौरान बदसलूकी को लेकर यह कार्रवाई हुई है। राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

राहुल बोले- कहा था कि काले कानून वापस लेने पड़ेंगे

कांग्रेस के राहुल गांधी ने कहा, हमने कहा था कि 3 काले कानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ। काले कानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है। देश की सफलता है।राहुल ने कहा कि ये तीन कानून किसानों और मजदूरों पर आक्रमण थे। किसानों और मजदूरों की कठिनाइयों की लिस्ट लंबी है, जो एमएसपी और कर्ज माफी तक ही सीमित नहीं है। वे अभी भी मांग कर रहे हैं और हम उनका समर्थन करते हैं। आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी गलती के कारण 700 लोग मारे गए, उनकी गलती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी।कांग्रेस नेता ने कहा, जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के कानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उसने गलत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु और कानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी, इस पर चर्चा होनी थी, लेकिन सरकार ने नहीं होने दी।