भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मोदी-शिवराज की तारीफ, कांग्रेस को कोसा



भोपाल. बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की. शर्मा ने स्वागत भाषण में कांग्रेस को जमकर कोसा. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आज का सरदार पटेल बताया. यह बैठक आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है.प्रदेश अध्यक्ष ने अगले एक साल के कार्यकर्ताओं को दो टास्क दिए. उन्होंने कहा कि हर बूथ पर 10 से 11त्न तब वोट बढ़ाना है. इसके साथ ही प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयर 51त्न करने का संकल्प दिलाया गया. बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन बहुमत के आंकड़े 7 सीटे (116 में से 109) कम मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 40 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन सीटें 114 मिली थीं और कांग्रेस ने बीएसपी के समर्थन से सरकार बना ली थी.प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू कर ऐतिहासिक काम किया है. आदिवासी वोट बैंक को साधने रखने की रणनीति के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ अमित शाह की तारीफ की. शर्मा ने कहा- प्रधानमंत्री ने पूरे देश में जनजातीय दिवस मनाने का ऐलान कर इस वर्ग की वर्षों से की जा रही उपेक्षा को दूर किया.प्रदेश में गौरव दिवस की शुरूआत केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने की. जिनको आज सरदार पटेल की भूमिका में देखते हैं. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में कोरोना दस्तक दे रहा था, तब कांगेस की सरकार ने ध्यान नहीं दिया. लेकिन जैसे ही बीजेपी की सरकार बनी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी ताकत से काम किया. उपचुनाव चुनौतीपूर्ण थे शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक राज करके प्रदेश का बंटाधार कर दिया था. 15 महीने की कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री कोई था, निर्णय कोई और लेता था. फिर जब बीजेपी की सरकार बनी तो शिवराज सिंह चौहान पर प्रहार करने की कोशिश की गई. उप चुनाव चुनौती पूर्ण थे. बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने इमोशनली नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर सरकार को बचाने का काम किया. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं ने कठिन परिस्थितियों में चुनौती को स्वीकार किया और सरकार ने बहुमत साबित किया.

बता दें कि भाजपा अब 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. विधायकों के साथ संगठन के पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाएंगी. खासकर आदिवासी और दलित वोटबैंक को साधने के लिए सत्ता-संगठन के संयुक्त कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी. इसके साथ ही बैठकों के दौरान आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव पर भी फोकस रहेगा.