ट्रैफिक जुर्माने को कम करने का अधिकार राज्यों को नहीं, केंद्र ने जारी की चेतावनी


नई दिल्ली । राष्ट्रपति की मंजूरी के बगैर राज्य सरकारों को संशोधित मोटर एक्ट के तहत निर्धारित जुर्मानों में कमी करने का अधिकार नहीं है। यदि कोई राज्य सरकार इसका पालन नहीं करती है तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए केंद्र सरकार वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों को यह चेतावनी जारी की है। प्रदेशों के परिवहन विभाग के प्रधान सचिवों और सचिवों के नाम जारी एडवाइजरी में एक्ट के तहत बढ़े जुर्मानों को लागू करने में कुछ राज्यों की आनाकानी अथवा जुर्मानों में कमी का संदर्भ दिया गया है। एडवाइजर पर सडक़ मंत्रालय के अवर सचिव के हस्ताक्षर है। इसमें कहा गया है कि एक राज्य ने अपने यहां मोटर एक्ट 1988 की धारा 200 के आधार पर कुछ यातायात अपराधों में कंपाउंडिंग के तहत जुर्मानों में कमी करने की अधिसूचनाएं जारी की हैं। 
इस बारे में सडक़ मंत्रालय ने विधि एवं न्याय मंत्रालय से कानूनी राय मांगी थी। जिस पर विधि मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल से परामर्श किया था। अटॉर्नी जनरल का कहना है कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से संशोधित मोटर वाहन अधिनियम, 1988 संसदीय कानून है। इसके अनुसार राज्य सरकारें राष्ट्रपति की मंजूरी के बगैर मोटर एक्ट में निर्धारित जुर्मानों में कमी का न तो कानून पारित कर सकती हैं और न ही अधिसूचना जारी कर सकती हैं। 
उल्लेखनीय है कि कई राज्यों ने सुविधानुसार जुर्माने की राशि कम कर दी है जबकि कई राज्यों ने इसके क्रियान्वयन में भी सुस्ती दिखाई है। सरकार ने इस बात की जानकारी दी थी कि गुजरात, कर्नाटक, मणिपुर और उत्तराखंड ने केंद्र द्वारा संशोधित किए गए कानून के खिलाफ जाकर कुछ अपराधों के मामले में जुर्माने की रकम को कम किया था।