शासकीय हाईस्कूल अमहरा में छात्रों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़


रेगुलर छात्रों को कर दिया गया प्राइवेट, समय से नहीं पहुंचते शिक्षक, जमकर हो रहा भ्रष्टाचार
सिंगरौली। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने हेतु मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पैसा पानी की तरह बहा रही है। दूर दराज के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है जहां शिक्षकों की कमी है वहां अतिथि शिक्षकों की तैनाती की जा रही है लेकिन कुछ विद्यालय आज भी ऐसे हैं जो प्रदेश सरकार की मंशा पर पानी फेरने पर लगे हैं। 
मिली जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय सिंगरौली से महज ३५ किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत अमहरा में संचालित शासकीय हाईस्कूल में अध्ययनरत छात्रों को प्राचार्य की मनमानी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उक्त स्कूल में अध्ययनरत लगभग आधा दर्जन छात्र-छात्राएं जो रेगुलर अध्ययन करते हैं उन्हें प्राइवेट फार्म भरवा दिया गया है। विद्यालय में कक्षा दशवीं में अध्ययनरत लवलेश कुमार यादव, हीरा मति सिंह, जमीला खातुन, संजय कुमार पनिका, गुरू दयाल सिंह ने बताया कि वह विद्यालय में रोजाना अध्ययन करने आते हैं इसके बावजूद भी विद्यालय के प्राचार्य द्वारा उनका प्राइवेट परीक्षा देने हेतु १५०० रूपये लेकर फार्म भरवाया गया है। छात्रों ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी सिंगरौली से भी शिकायत की है परन्तु उन्हें कोई राहत नहीं मिली। अध्ययनरत छात्रों के अविभावकों ने बताया कि विद्यालय के प्राचार्य परशुराम शाह की मनमानी का खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं। बच्चे रोज विद्यालय जाते हैं इसके बावजूद भी उन्हें प्राइवेट परीक्षा देने हेतु फार्म भराया जाना समझ से परे है। 


समय से विद्यालय नहीं पहुंचते अध्यापक
विद्यालय में अध्ययरत छात्रों के अविभावकों ने बताया की शासकीय हाईस्कूल अमहरा में लगभग ४०० छात्र अध्ययन करते हैं। विद्यालय में तीन शासकीय शिक्षक है तथा ८ अतिथि शिक्षक अध्यापन करते हैं लेकिन यहां समय से कोई शिक्षक हाजिर नहीं होता। कुछ शिक्षक तो विद्यालय में महीने में मात्र एक दो दिन ही दिखायी देते हैं। दिनांक ०४ जनवरी को सुबह १०.३० पर पहुंची काल चिन्तन टीम ने देखा कि विद्यालय में मात्र एक शिक्षक एलहाज मोहम्मद व शिक्षक राम सजीवन उपस्थित थे इसके बाद १०.३० पर एक और शिक्षक दीपक कुमार और १०.५० पर अच्छे लाल शाह उपस्थित हुये। बाकी शिक्षकों का १२ बजे तक अता पता नहीं था। विद्यालय में अध्ययनरत छात्र के अविभावक नशीरूद्दीन ने बताया कि कुछ अतिथि शिक्षकों का साइन कराने प्रधानाचार्य खुद रजिस्टर लेकर उनके घर जाते हैं और उनकी साइन कराकर हाजिरी बना दी जाती है। जब अतिथि शिक्षकों की तनख्वाह आती है तब उसमें प्राचार्य तथा अतिथि शिक्षकों के बीच बंदरबांट की जाती है। 


धूल खा रही हैं बच्चों को बांटने के लिए आयी सायकिल 
विद्यालय में छात्र-छात्राओं को बांटने के लिए आयी हुयी सायकिलें सालों से धूल खा रही हैं। सायकिल बांटने के बारे में जब प्राचार्य से पूछा जाता है तो उनका जवाब रहता है कि कागजी कार्यवाही अभी बाकी है जब कागजी कार्यवाही पूरी हो जायेगी तब सायकिल बांट दी जायेगी। सालों से सायकिलें धूल खा रही हैं लेकिन छात्रों को नहीं बांटा जा रहा है। 


शौचालय में लगा है ताला
विद्यालय में स्वेच्छाचारिता का आलम यह है कि ४०० के लगभग अध्ययन कर रहे छात्रों के बीच दो शौचालय बनी हुयी हैं जिसमें ताला बंद रहता है। छात्र-छात्राएं बाहर शौच करने जाती हैं। स्वच्छ भारत मिशन का यहां कोई मतलब नहीं है। छात्राओं ने बताया कि विद्यालय के शौचालय में हमेशा ताला लगा रहता है जिस कारण उन्हें बाहर शौच के लिए जाना पड़ता है जिससे उन्हें शर्मिन्दगी का भी सामना करना पड़ता है।