पीएम मोदी ने बेलूर मठ के रामकृष्ण मंदिर में की पूजा, ध्यानकक्ष में लगाया ध्यान
कोलकाता । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आज सुबह ऐतिहासिक बेलूर मठ के रामकृष्ण मंदिर में जाकर पूजा-पाठ किया और वहां रह रहे संतों से भेंट की। प्रधानमंत्री मोदी ने रामकृष्ण परमहंस को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी ने हावड़ा स्थित रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में ही रात गुजारी थी। इस मठ में रात गुजारने वाले वह पहले प्रधानमंत्री हैं। बताया जा रहा है कि सुबह ध्यानकक्ष में मठ के स्वामियों के साथ प्रधानमंत्री ने भी ध्यान लगाया। मालूम हो कि इससे पहले प्रधानमंत्री मई 2019 में केदार की गुफा में ध्यान लगाते हुए रात गुजार चुके हैं।
बेलूर मठ के अधिकारियों ने बताया कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और कई अन्य प्रधानमंत्री भी कई बार मठ आ चुके हैं लेकिन कोई भी रात में यहां नहीं ठहरा था। उन्होंने बताया कि इससे पहले जारी यात्रा कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी शनिवार रात को राज भवन में रुकने वाले थे लेकिन इसमें बदलाव किया गया। पीएम शनिवार शाम हावड़ा ब्रिज पर लाइट ऐंड साउंड शो के बाद नाव से बेलूर मठ पहुंचे और उन्होंने यहां संतों से मुलाकात की। पीएम को मठ परिसर के अंदर अंतरराष्ट्रीय अतिथि गृह में ठहराया गया।
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री का यहां रात में ठहरने का फैसला इस तथ्य को ध्यान में रखकर लिया गया हो सकता है कि रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद की जयंती रविवार को पड़ रही है। मठ के अधिकारियों ने कहा कि रविवार को मठ में एक प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई और प्रधानमंत्री इसमें शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मठ में अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री का श्री रामकृष्ण, श्री शारदा देवी और स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान व्यक्त करने के बाद अध्यक्ष स्मरणानंद से मुलाकात का कार्यक्रम है। अधिकारियों ने कहा कि पीएम को रात में भोग दिया जाएगा। वहां कोई विशेष व्यवस्था नहीं होगी। भोग और प्रसाद वही होगा जो दूसरे भक्तों को दिया जाता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा 1897 में स्थापित रामकृष्ण मिशन से मोदी का परिचय नया नहीं है। वह जब किशोर थे तब स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रेरित होकर गुजरात की राजकोट शाखा में मिशन के आश्रम पहुंचे थे और संस्था से जुड़ने की इच्छा जाहिर की थी। तब उस आश्रम के प्रमुख आत्मसहजानंद ने उन्हें संन्यास न लेकर लोगों के बीच रहकर काम करने को कहा था।