पाक में कितनी बेटियों के साथ बलात्कार हुआ, तब कहां थी कांग्रेस: स्मृति ईरानी


- कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा राष्ट्रहित में नहीं परिवार हित में किया था
वाराणसी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विवि में आयोजित जनसभा में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि हिन्दुस्तान की जनता ने जो वचन दिया उस पर खरा उतरी, जबकि पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यक 23 प्रतिशत थे और घटते-घटते तीन प्रतिशत रह गए। इसके बावजूद कांग्रेस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। पाकिस्तान में कितनी ही बेटियों को उठाया गया, बलात्कार किया गया। जबरिया शादी की गई और धर्म परिवर्तन कराया गया लेकिन कांग्रेस कुछ नहीं बोली। भाजपा के कार्यकर्ता जानते हैं कि कांग्रेस में हिन्दू और सिख विरोधी आत्माएं लगी हुईं है लेकिन यह नहीं जानते थे कि कांग्रेस ईसाइयों के भी विरोध में खड़ी होगी। पाकिस्तान में ईसाइयों के धार्मिक स्थलों पर विस्फोट किया गया तब सोनिया गांधी नहीं रोईं। जब बाटला हाउस में आतंकवादी को मारा गया तब रोईं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा राष्ट्रहित में नहीं परिवार हित में स्वीकार किया था। उन्हें परिवार के एक सदस्य को नेता प्रधानमंत्री बनाना था। बात की शुरुआत कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार से की। 1990 में पाकिस्तान के इशारे पर काला इतिहास हमारे देश का अंग बन गया।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कहा कि जब अंग्रेज देश का विभाजन कर रहे थे तब एक ही बिन्दु लेकर चले। उन्होंने हिन्दुस्तान को खत्म करने के लिए विभाजन धर्म के आधार पर किया। गोरों की इस सीख को कांग्रेस पार्टी ने अपना संस्कार मान लिया। आज जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं उन्हें 72 साल बाद भी इस बात का जवाब नहीं सूझता कि जब धर्म के आधार पर देश का बंटवारा हो रहा था तो कांग्रेस ने क्यों स्वीकार किया. क्या कोई अपनी मां का बंटवारा स्वीकार कर सकता है। स्मृति ने कहा कि जब बंटवारा हुआ तो गांधी जी चाहते थे कि जो हिन्दू परिवार पाकिस्तान में छूट रहे हैं। उनका संरक्षण हो। बापू के इस कथन को नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि साकार भी किया। 1950 में नेहरू-लियाकत पैठ हुआ था। तय हुआ कि पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों का वहां की सरकार संरक्षण करेगी। इस पैठ के चलते हिन्दुस्तान ने भी इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया कि अल्पसंख्यक यहां सुरक्षित रहेंगेख, तब भारत में 9 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे और 2012 में यह संख्या 14 प्रतिशत के पार चली गई।