कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में बोलीं सोनिया गांधी, सीएए का उद्देश्य लोगों को धर्म के आधार पर बांटना


नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को विभाजनकारी बताते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य भारतीयों को धार्मिक आधार पर बांटना है। राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ता समानता, न्याय और सम्मान के लिए संघर्ष में लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। इस बैठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल नहीं हुए हैं।


सोनिया गांधी ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि जेएनयू और अन्य जगहों पर युवाओं और छात्रों पर हमले की घटनाओं के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन किया जाना चाहिए।
'छात्रों पर हमले की जांच के लिए बने विशेषाधिकार आयोग'

सोनिया ने कहा, 'नए साल की शुरुआत संघर्षों, अधिनायकवाद, आर्थिक समस्याओं, अपराध से हुई है।' उन्होंने सीएए को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून करार देते हुए दावा किया कि इसका मकसद भारत के लोगों को धार्मिक आधार पर बांटना है। सोनिया ने कहा कि जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और कुछ अन्य जगहों पर युवाओं और छात्रों पर हमले की घटनाओं की जांच के लिए विशेषाधिकार आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने खाड़ी क्षेत्र के घटनाक्रम को लेकर भी चिंता प्रकट की।

कई प्रस्ताव भी पास

कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में चार प्रस्ताव भी पास किए गए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार और पीएम मोदी ने युवाओं के विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने छात्रों और युवाओं की आवाज को दबाने के लिए क्रूरता का इस्तेमाल किया। इसमें यह भी कहा गया है कि स्वतंत्र और रचनात्मक सोच वाले संस्थाओं पर हमले के लिए साजिश रची गई। कांग्रेस कार्य समिति ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां हटाने और नागरिक स्वतंत्रताएं बहाल करने की अपील की।

इन मुद्दों पर चर्चा
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हो रही इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य नेता शामिल हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शनों, जेएनयू में हमले के बाद पैदा हुए हालात और आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और किसानों की स्थिति पर चर्चा हुई।