जेएनयू हिंसा: देशभर में छात्रों का प्रदर्शन


सवालों के घेरे में पुलिस, 90 कॉल के बाद भी देर से आई
नई दिल्ली। जेएनयू में रविवार शाम हिंसा के विरोध में देशभर के छात्रों ें नाराजगी है। मुंबई और पुणे समेत कई शहरों में प्रदर्शन जारी है। छात्र हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बता दें कि रविवार को लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस बाहर से आए नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 30 से ज्यादा छात्र और टीचर गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें एम्स और सफदरजंग में भर्ती कराया गया। करीब 200 हमलावरों ने साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोडफ़ोड़ की। रजिस्ट्रार की सलाह पर स्टूडेंट्स ने कई बार 100 नंबर डायल किया। पीसीआर को 90 से ज्यादा कॉल मिलीं लेकिन स्टूडेंट्स का आरोप है कि कई कॉल करने के बावजूद पुलिस देरी से पहुंची और हिंसा रोकने के बजाय चुप रही। पुलिस ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन के कहने पर हम अंदर आए। कुछ नकाबपोश देखे गए हैं, जिनकी पहचान की जाएगी। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि रात में भी नकाबपोश कैंपस में लोगों पर हमले करते रहे।
ऐसी हिंसा पहली बार
टीचरों ने कहा कि जेएनयू के इतिहास में ऐसी हिंसा पहली बार हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस कमिश्नर को फोन कर हालात का जायजा लिया। एचआरडी मिनिस्ट्री ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली है। इस बीच जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इस जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली पुलिस की ज्वाइंट कमिश्नर शालिनी सिंह यह जांच करेंगी। 
कौन देगा इन सवालों के जवाब
नकाबपोश हमलावर कौन थे?
यूनिवर्सिटी में खुलेआम घूमते और तोडफ़ोड़ करते नकाबपोशों की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। लेकिन ये नकाबपोश कौन थे और कहां से आए थे इसका जवाब दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन को जल्द से जल्द सामने लाना होगा।
कैंपस में कैसे घुसे?
जेएनयू के गेटों पर कड़ी सुरक्षा रहती है, कोई भी बाहरी शख्स कैंपस में दाखिल नहीं हो सकता है। अगर ये लोग बाहरी थे तो इतनी बड़ी तादाद में लाठी-डंडों और रॉडों के साथ कैसे और कहां से यूनिवर्सिटी में घुस आए। इसका जवाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को देना ही होगा।


यूनिवर्सिटी सिक्योरिटी क्या कर रही थी?
इतनी देर तक कैंपस के अंदर हंगामा और स्टूडेंट्स के साथ मारपीट होती रही, इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कर रहा था। खासतौर से कैंपस में बड़ी तादाद में सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात रहते हैं, वे सब इस दौरान क्या कर रहे थे। उन्होंने हमलावरों को रोकने या पकडऩे की कोशिश क्यों नहीं की।


भाजपा, विपक्ष ने की निंदा
जेएनयू में हुई घटना की सरकार तथा विपक्ष ने निंदा की है। भाजपा ने कहा है कि हम जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं। यह उन अराजक तत्वों द्वारा दुस्साहस का प्रयास है, जो छात्रों को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करते हैं और खत्म हो चुकी अपनी राजनीतिक जमीन को पाने के लिए अशांति फैलाने को उतारू हैं। वहीं, यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा और मौजूदा केंद्र सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, जेएनयू से आ रही तस्वीरें बेहद भयावह हैं। यह वह जगह है, जिसे मैं गंभीर चर्चाओं और राय के लिए जानती हूं और याद करती हूं। मैं आज कैंपस में हुई घटना की निंदा करती हूं। यह सरकार चाहती है कि यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए सुरक्षित जगह रहे।
जेएनयू कैंपस छावनी में तब्दील
जेएनयू कैंपस में छात्रों पर लाठी, डंडों से लैस नकाबपोशों के हमले के बाद वहां बड़ी तादाद में वहां पुलिस बल तैनात है। लेफ्ट के छात्र संगठन और एबीवीपी हिंसा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जेएनयू कैंपस में जबरदस्त तनाव का माहौल है। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से बात कर जेएनयू की स्थिति का जायजा लिया। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस से पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरिया निशंक ने भी हिंसा पर जेएनयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है।