जेएनयू हिंसा / आइशी का आरोप- नकाबपोशों ने बेहोश होने तक पीटा, बंगाल भाजपा प्रमुख बोले- चोट लगी या पेंट लगाया, जांच हो


नई दिल्ली. पुलिस ने बुधवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 5 जनवरी को हिंसा करने वाले कुछ नकाबपोशों की पहचान कर ली गई है। पुलिस इनकी पहचान जल्द ही उजागर करेगी। उधर, हिंसा में घायल हुई छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने पुलिस में शिकायत की है कि उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई। बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने आइशी के आरोपों पर कहा- चोट लगी थी या आइशी ने पेंट लगाया था, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जेएनयू में हिंसा आइशी घोष और वामपंथी छात्र संघ के इशारे पर हुई थी।
 


नए सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के आखिरी दिन रविवार को कैम्पस में प्रदर्शन हो रहा था। इस दौरान छात्रों का एक गुट प्रक्रिया का समर्थन कर रहा था और दूसरा विरोध कर रहा था। शाम को कैम्पस में करीब 50 नकाबपोशों ने मारपीट और तोड़फोड़ की। 20 छात्रों के अलावा कुछ शिक्षक भी घायल हुए। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।


एचआरडी का सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने का सुझाव


मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बुधवार को जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार को छात्रों के साथ ज्यादा संवाद बनाने, फैकल्टी को विश्वास में लेने और यूनिवर्सिटी कैंपस में हिंसा के बाद सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने का सुझाव दिया। मंत्रालय के अधिकारियों ने वीसी से मुलाकात की और जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने के लिए कहा।


भीड़ ने धमकाने और प्रताड़ित करने की कोशिश की- आइशी
आइशी घोष ने अपनी शिकायत में कहा- पिछले रविवार भीड़ ने मुझे प्रताड़ित करने, धमकाने और मेरी हत्या करने की कोशिश की। नकाबपोशों ने मुझे एक कार के पीछे घसीटकर तब तक पीटा, जब तक मैं बेहोश नहीं हो गई। एक नकाबपोश को मैं पहचानती भी हूं। इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जल्द गिरफ्तारी की जाए। 


हालांकि, जेएनयू मामले में दर्ज दूसरी एफआईआर में आइशी समेत 20 लोगों पर मारपीट, धमकाने और तोड़फोड़ का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में लिखा गया कि 4 जनवरी को इन लोगों ने कम्युनिकेशन एंड सर्विस डिपार्टमेंट के स्टाफ, वहां तैनात महिला गार्ड से मारपीट की और उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दी थी।


कैम्पस अस्थायी तौर पर बंद करने की मांग नहीं की- कुलपति
जेनएयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने मानव संसाधान विकास (एचआरडी) मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। कुमार ने कहा कि जेएनयू प्रशासन ने कैम्पस को अस्थायी तौर पर बंद करने की मांग सरकार से नहीं की है। एचआरडी मंत्रालय को ऐसा कोई सुझाव नहीं भेजा गया। प्रबंधन लगातार यूनिवर्सिटी की गतिविधियां सामान्य करने का प्रयास कर रहा है। जेएनयू हिंसा पर वीसी ने छात्रों से कहा था कि बीती बातें भुलाकर आगे बढ़ें। इस बयान के बाद ही उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे थे।