एमएसएमई के रथ पर सवार विकास और रोजगार

किसी भी प्रदेश के विकास में उसके सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इन छोटे और मझोले उपक्रमों पर ही राज्य की आर्थिक गतिविधियों की बुनियाद टिकी होती है। यही कारण है कि दिसंबर 2018 में सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार निरंतर इस क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है।कमल नाथ स्वयं उद्यमी परिवार से आते हैं और वे उद्योग जगत की चिंताओं और उनकी आवश्यकताओं से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हैं। यही कारण है कि एमएसएमई विकास नीति 2019 जारी करते समय उन्होंने इन तमाम बातों का ध्यान रखा ताकि एमएसएमई क्षेत्र को एक खामी रहित नीति मिल सके।
एमएसएमई और रोजगार
 एमएसएमई क्षेत्र न केवल देश बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मायने रखता है। वर्ष 2008 में जब दुनिया में आर्थिक मंदी आयी थी तब भारत के उससे बचे रहने में एमएसएमई क्षेत्र की भी अहम भूमिका थी। रोजगार प्रदान करने के मामले में भी इस क्षेत्र का कोई और सानी नहीं है। मुख्यमंत्री कमल नाथ के लिए भी प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिलाना एक जरूरी मुद्दा रहा है। हम जानते ही हैं कि एमएसएमई क्षेत्र प्रदेश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में शामिल है। यही वजह है कि एमएसएमई विकास नीति में ऐसे तमाम प्रावधान किये गये हैं जो प्रदेश के युवाओं, छोटे उद्यमियों और स मस्त अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक साबित होने वाले हैं। 
एमएसएमई क्षेत्र में नई नीति और स्टार्ट अप जगत को लेकर नई पहल के साथ प्रदेश की कमल नाथ सरकार औद्योगिक विकास, रोजगार और स्वरोजगार तीनों क्षेत्रों पर एक साथ काम कर रही है।
नयी एमएसएमई विकास नीति के लाभ
एमसएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए संयंत्र और मशीनरी के अलावा भवन निर्माण पर किये गये निवेश पर सीधे 40 फीसदी अनुदान देने की व्यवस्था की गयी है। इतना ही नहीं किसी महिला या अनुसूचित जाति-जनजाति के उद्यमी द्वारा स्थापित इकाई पर निवेश के 48 फीसदी या अजा-अजजा वर्ग की महिला द्वारा निवेश किए जाने पर निवेश की जाने वाली राशि के 50 फीसदी के बराबर अनुदान दिया जायेगा। इस नीति की सबसे अहम बातों में से एक यह भी है कि सरकारी रियायतों और अनुदान आदि का लाभ लेने वाले एमएसएमई उपक्रमों को अपने कुल रोजगार में से 70 फीसदी मध्य प्रदेश के स्थानीय युवाओं को देने होंगे। 
नयी स्टार्ट अप नीति
प्रदेश सरकार ने एमएसएमई विभाग के अधीन ही नयी स्टार्ट अप नीति भी प्रस्तुत की है। नयी नीति पहले की अपेक्षा अधिक लचीली और सहज है। इस नीति के तहत स्टार्ट अप का सहयोग करने के लिए 10 करोड़ रुपये की पूंजी सीड कैपिटल के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। नयी स्टार्ट अप नीति में सरकार ने 50 करोड़ रुपये के निवेश से वेंचर फंड स्थापित करने की बात भी कही है। राज्य सरकार ने स्टार्ट अप और इन्क्यूबेशन सेंटर को प्रत्येक चरण में सहायता मुहैया कराने की प्रतिबद्धता भी जताई है। इन्क्यूबेटर की स्थापना के लिए सरकार 50 लाख रुपये तक का पूंजी अनुदान मुहैया करा रही है।
सरकार ने जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर और इंदौर मे इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की घोषणा भी की है। इससे पहले सरकार ने स्टार्ट अप इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया जिसमें 40 प्रमुख स्टार्ट अप और 8 निवेशकों ने हिस्सेदारी की। इन्क्यूबेशन सेंटर पर काम करने के लिए चयनित युवाओं को प्रदेश सरकार न केवल एक वर्ष तक 10,000 रुपये की मासिक सहायता देगी बल्कि उनको किराये की जगह भी निशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी। स्टार्ट अप के लिए युवाओं का चयन बकायदा ऑनलाइन पोर्टल से पारदर्शी ढंग से किया जायेगा। एमएसएमई विकास नीति में पॉवरलूम, फार्मा और रेडीमेड वस्त्र क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की गई है। इसके अलावा भी एमएसएमई विभाग ने प्रदेश में स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना तैयार की हैं।
इस मामले में सरकार काफी हद तक वचन पत्र में किये गए अपने वादों पर खरी उतरती दिख रही है। कृषक उद्यमी योजना के अधीन पशुधन आधारित उद्योगों के लिए रियायती ब्याज का वादा सरकार ने निभाया है। नई एमएसएमई नीति में विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहन और विशेष पैकेज का वादा भी सरकार ने निभाया है। इसी तरह स्टार्ट अप नीति को भी वादे के मुताबिक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। 
कमल नाथ को स्वयं उद्योग जगत का लंबा अनुभव है। यही कारण है कि उन्हें उद्योगपतियों को काम के दौरान सामने आने वाली कठिनाइयों और दिक्कतों का अच्छी तरह अंदाजा है। उन्होंने उद्योगपतियों की दिक्कतों को समझा और उन्हें फौरन दूर करने के इंतजाम भी किये। उन्होंने नीतियों में बदलाव कुछ इस तरह किये कि स्थानीय युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में रोजगार मिल सके और उद्योग धंधों को भी समुचित प्रोत्साहन मिले। छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है। यही वजह है कि नीतियों में परिवर्तन ऐसा है कि छोटे उद्योगों को ज्यादा फायदा पहुंचे। 
मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास का जो विजन लेकर चल रहे हैं उसमें एमएसएमई क्षेत्र की अत्यंत महत्वूपर्ण भूमिका है। इस क्षेत्र में जो नयी पहल प्रदेश सरकार ने की हैं, उनके परिणाम भी बहुत जल्दी हमारे सामने आने शुरू हो जायेंगे।
01जनवरी/ईएमएस