दिसंबर में रिटेल इन्फ्लेशन / महंगाई दर साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा; एक महीने में 5.54% से बढ़कर 7.35% हुई

नई दिल्ली. खुदरा (रिटेल) महंगाई दर दिसंबर में बढ़कर 7.35% पहुंच गई। यह साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा है। खुदरा महंगाई दर उन्हीं स्तरों पर पहुंच गई जितनी मोदी सरकार के आने के वक्त थी। जुलाई 2014 में यह दर 7.39% थी। पिछले नवंबर में 5.54% रही थी। सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार को आंकड़े जारी किए। सब्जियों खासकर प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर ज्यादा प्रभावित हुई। सब्जियां दिसंबर में 60.5% महंगी हुईं। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 14.12% रही। नवंबर में 10.01% थी।









































वस्तुदिसंबर में महंगाई दर
सब्जियां60.5%
फल4.45%
धान एवं संबंधित उत्पाद4.36%
मांस-मछली9.57%
अंडा8.79%
दालें एवं संबंधित उत्पाद15.44%
मसाले5.76%
बिजली-ईंधन0.70%

इकोनॉमी के लिए खुदरा महंगाई दर के आंकड़े कितने अहम : 3 वजह
खानपान से जुड़ी चीजें कितनी किफायती : यह दर बताती है कि आम आदमी के खानपान से जुड़ी चीजें महंगी हो रही हैं या सस्ती? क्योंकि खुदरा महंगाई दर में खाने-पीने की चीजों की हिस्सेदारी 50% के आसपास है। जैसे- सब्जियां, फल, धान, मांस-मछली।


महंगाई भत्ता : केंद्र सरकार खुदरा महंगाई दर बताने वाले कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स के आधार पर ही महंगाई भत्ते (डीए) की सालाना दर तय करती है। डीए में बढ़ोतरी का फायदा 50 लाख कर्मचारियों और 62 लाख पेंशनरों को मिलता है।


खुदरा महंगाई बढ़ने से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम


आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4-6% के दायरे में रहे। यह जुलाई 2016 के बाद पहली बार 6% से ज्यादा यानी आरबीआई के अधिकतम लक्ष्य से ऊपर पहुंची है। बैकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट आरके गौतम का कहना है कि खुदरा महंगाई 6% से ऊपर जाने की वजह से आरबीआई द्वारा प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश काफी कम रहेगी। आरबीआई 6 फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद ब्याज दरों का ऐलान करेगा। केंद्रीय बैंक ने पिछले साल रेपो रेट में 1.35% कमी की थी।


खुदरा महंगाई दर : 157 देश इसी आधार पर नीतियां तय करते हैं
चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी या बढ़ोतरी से महंगाई दर तय होती है। रिटेल इन्फलेशन यानी खुदरा महंगाई दर वह दर है जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। खुदरा महंगाई दर को बताने वाला सूचकांक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स होता है। यह इंडेक्स उपभोक्ताओं द्वारा किसी भी वस्तु या सेवा के लिए किए जाने वाले औसत भुगतान पर आधारित होता है। 157 देश खुदरा महंगाई दर के आधार पर ही नीतियां तय करते हैं। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य और पेय पदार्थ से जुड़ी चीजों और एजुकेशन, कम्युनिकेशन, ट्रांसपोर्टेशन, रीक्रिएशन, अपैरल, हाउसिंग और मेडिकल केयर जैसी सेवाओं की कीमतों में आ रहे बदलावों को शामिल किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की 448 और शहरी क्षेत्रों की 460 चीजों और सेवाओं को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में शामिल किया जाता है। दूसरी तरह की महंगाई दर को थोक महंगाई दर कहते हैं। इसे होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर तय किया जाता है। इस इंडेक्स में 697 वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर बदलाव होता है।