उपलब्धि  : ध्वनि की गति से तीन गुना रफ्तार से लक्ष्य भेद सकती है ब्रह्मोस


पलक झपकते ही दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करेगी ब्रह्मोस
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा एक के बाद एक जिस प्रकार उच्च तकनीक वाली रक्षा प्रणालियों के जरिये भारतीय सेना को मजबूती प्रदान की जा रही है, उससे हर भारतवासी गौरवान्वित है। स्वदेशी हथियारों के निर्माण में डीआरडीओ की उपलब्धियों के बारे में पिछले दिनों रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भी था कि कई पाबंदियों और सीमित क्षमताओं के बावजूद डीआरडीओ भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने के लिए कई प्रणालियां, उत्पाद तथा प्रौद्योगिकियां विकसित करने में सफल रहा है और उसने देश को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से समृद्ध किया है। पिछले ही महीने अग्नि-2 और अग्नि-3 बैलिस्टिक मिसाइलों के सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ द्वारा अब उड़ीसा में चांदीपुर स्थित इंटिग्रेटेड टेस्ट रेंज में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' का भी सफल परीक्षण किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी तथा रूस की मॉस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। यह भारत तथा रूस के संयुक्त प्रयासों द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे भरोसेमंद आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है, जिसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। रूस द्वारा इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध कराई जा रही है जबकि उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है।
'ब्रह्मोस' को पहले से ही दुश्मन के लिए बेहद खतरनाक माना जाता रहा है और अब 17 दिसम्बर की सुबह तथा दोपहर 'ब्रह्मोस' सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के दो नए संस्करणों को जमीन तथा हवाई प्लेटफार्मों से सफलतापूर्वक लांच किया गया। पहली मिसाइल का प्रक्षेपण उड़ीसा के लैंड बेस्ड मोबाइल लांचर से किया गया, जिसमें मिसाइल एयर फ्रेम, फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि डीआरडीओ द्वारा विकसित अधिकांश उपकरण स्वदेशी थे। जमीन पर मार करने में सक्षम इस मिसाइल ने पूर्व निर्धारित मानदंडों के अनुरूप अपने लक्ष्य को सटीक तरीके से भेद दिया। उसके बाद मिसाइल के हवाई संस्करण का दूसरा प्रक्षेपण भारतीय वायु सेना द्वारा एसयू-30 एमकेआई मंच से एक समुद्री लक्ष्य के खिलाफ किया गया और वह भी सभी मापदंडों पर खरा उतरा। जमीन पर मार करने में सक्षम जिस आर्मी वर्जन का मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से परीक्षण किया गया, वह 'ब्रह्मोस' का नया विकसित संस्करण है। इन परीक्षणों के बाद ब्रह्मोस अब जल, थल और नभ तीनों ही जगह दुश्मन पर बेहद सटीक वार करने में सक्षम हो गई है। दरअसल नौसेना और वायुसेना में पहले से ही ब्रह्मोस मिसाइलें शामिल हैं और अब जिस प्रकार परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल लक्ष्य के तौर पर मौजूद जहाज पर सटीक निशाना लगाने में सफल रही, उसके बाद इसे थल सेना के बेड़े में भी शामिल किया जाएगा।
ब्रह्मोस मध्यम दूरी तक मार करने वाली रैमजेट इंजन युक्त सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, जहाज, लड़ाकू विमान अथवा जमीन से अर्थात् कहीं से भी लांच किया जा सकता है। अभी तक चीन और पाकिस्तान के पास भी ऐसी क्रूज मिसाइल नहीं है, जिन्हें जल, थल और नभ तीनों ही जगह से दागा जा सकता है। क्रूज मिसाइलों की खासियत की बात करें तो क्रूज प्रक्षेपास्त्र वे होते हैं, जो कम ऊंचाई पर बहुत तेज गति से उड़ान भरते हैं और दुश्मन देशों के रडार की नजरों से बचे रहते हैं। ब्रह्मोस 10 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है और यह रडार के अलावा किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को भी धोखा देने में सक्षम है, इसीलिए इसे मार गिराना लगभग असंभव माना जाता रहा है। भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण बनाए गए हैं। थल सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। डीआरडीओ अब रूस के सहयोग से इस मिसाइल की मारक दूरी बढ़ाने के साथ ही इन्हें हाइपरसोनिक गति पर उड़ाने पर भी कार्य कर रहा है।
ब्रह्मोस के नए संस्करण का प्रोपल्शन सिस्टम, एयरफ्रेम, पावर सप्लाई सहित कई महत्वपूर्ण उपकरण देश में ही विकसित किए गए हैं। 290 किलोमीटर रेंज वाली करीब 9 मीटर लंबी नई ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से करीब तीन गुना ज्यादा रफ्तार से वार करने में सक्षम है और यह एक बार में 200 किलोग्राम वजनी युद्धक सामग्री ले जा सकती है। यह महज दो सैकेंड के भीतर 14 किलोमीटर तक की ऊंचाई हासिल कर सकती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने से महज 20 किलोमीटर पहले भी अपना रास्ता बदल सकने वाली तकनीक से लैस है। यह दुनिया में अपनी तरह की ऐसी एकमात्र क्रूज मिसाइल है, जिसे सुपरसॉनिक स्पीड से दागा जा सकता है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से अपने लक्ष्य पर जबरदस्त प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिलेगा क्योंकि यह पलक झपकते ही दुश्मन के ठिकाने को नष्ट कर सकती है। सतह पर कम दूरी तक मार करने वाली नई ब्रह्मोस का परीक्षण इसी साल 30 सितम्बर को चांदीपुर टेस्ट रेंज में ही किया गया था और ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले नए संस्करण का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। जमीन पर 490 किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस का परीक्षण पूरी तरह सफल रहा था। इसी साल 21 तथा 22 अक्तूबर को भी भारतीय वायुसेना ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में त्राक द्वीप से सतह से सतह पर मार करने वाली दो ब्रह्मोस मिसाइलें दागी थी, जो नियमित सामरिक प्रशिक्षण का हिस्सा थी। दोनों ही मामलों में ब्रह्मोस ने अपने निर्धारित लक्ष्य को प्रत्यक्ष रूप से भेद दिया था।
ब्रह्मोस के नए संस्करण को डीआरडीओ और रूस के फेडरेशन स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइजेज 'एनपीओ मशिनोस्त्रोयेनिया' (एनपीओएम) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस मिसाइल को दिन हो या रात तथा कैसा ही मौसम हो अर्थात् किसी भी समय दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक होती है और रैमजेट इंजन की मदद से इसकी क्षमता को तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसी मिसाइल की क्षमता 100 किलोमीटर दूरी तक है तो उसे इस इंजन की मदद से बढ़ाकर 320 किलोमीटर तक किया जा सकता है। आम मिसाइलों के विपरीत ब्रह्मोस हवा को खींचकर रैमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है और 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस-नहस कर सकती है। ब्रह्मोस की अन्य विशेषताओं की बात करें तो इनकी सबसे बड़ी विशेषता तो यही है कि इन्हें पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा वर्टिकल अथवा सीधे अर्थात् नौसैनिक प्लेटफार्म से लंबवत और झुकी हुई दोनों ही अवस्था में दागा जा सकता है और ये हवा में ही मार्ग बदलकर चलते-फिरते लक्ष्य को भी भेदने में सक्षम हैं। दरअसल ब्रह्मोस के दागे जाने के बाद अगर लक्ष्य तक पहुंचते-पहुंचते उसका लक्ष्य अपना मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी उसी के अनुरूप अपना मार्ग बदल लेती है और उसे आसानी से निशाना बना लेती है।
बहरहाल, नई तकनीक से विकसित ब्रह्मोस के नए संस्करणों के सफल परीक्षण के बाद भारतीय सेना के तीनों अंगों की मारक क्षमता और बढ़ गई है और अब ब्रह्मोस की बदौलत भारत जमीन, जल तथा आसमान तीनों ही जगह अपने लक्ष्य को सटीकता के साथ भेदने की क्षमता हासिल करते हुए दुश्मन के ठिकानों को पलक झपकते ही नेस्तनाबूद करने में सक्षम हो गया है। आगामी दस वर्षों में भारत द्वारा करीब दो हजार ब्रह्मोस मिसाइलें बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यही नहीं, आने वाले वर्षों में भारतीय सेना के बेड़े में ब्रह्मोस का अत्याधुनिक हाइपरसोनिक वर्जन 'ब्रह्मोस-2' भी शामिल होगा, जो करीब 7 मैक की गति से छह हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 290 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम होगी।