सेंगर का न्याय


उत्तर प्रदेश के उन्नाव की बिटिया से सामूहिक दुष्कर्म के दो साल पुराने मामले में दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि उसे मौत तक जेल में रखा जाए। भाजपा से निकाले गए सेंगर पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया, जो उसे एक महीने के अंदर जमा करना होगा। सजा सुनाते समय जिला जज धर्मेश शर्मा ने कहा, सेंगर ने जो भी किया, वह बिटिया को डराने-धमकाने के लिए किया। हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी। सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया, इसलिए सजा में कोई मुरव्वत नहीं। जैसे ही कोर्ट ने सजा का एलान किया, सेंगर रोने लगा। इससे पहले सोमवार को भी जब उसे दोषी करार किया गया था, तब भी वह रोने लगा था। जो भी हो सेंगर का न्याय हो गया है। इस सजा का असर भी होगा। समाज में यह संदेश भी जाएगा कि जब सेंगर जैसा बाहुबली सजा से नहीं बच पाया तो फिर आम अपराधी भी दया के पात्र नहीं होंगे।
अगर जनप्रतिनिधियों की बात करें तो सेंगर अकेला नहीं है। संसद में नेता भले ही रेप पर कहें कि बच्चों से गलती हो जाती है, मगर उसी सदन में बैठे ऐेसे कई माननीय हैं जिन पर सजा की तलवार लटक रही है। सेंगर जैसे ही 18 सांसद और 58 विधायक हैं जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले चल रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में भाजपा के सबसे ज्यादा सांसद और विधायक आरोपी हैं। कांग्रेस इस लिस्ट में 16 के आंकड़े के साथ दूसरे नंबर पर है। जहां एक ओर न्याय का सिद्धांत कहता है कि जब तक दोष साबित न हो किसी को अपराधी ठहराया नहीं जा सकता। इसके साथ ही यह भी एक कटु सत्य है कि अगर रेप का आरोपी कोई निर्वाचित प्रतिनिधि है तो वह अपने कथित अपराध की जांच प्रक्रिया को निश्चित तौर पर प्रभावित करता है। सेंगर ने भी ेेऐसा ही किया। साम, दाम, दंड और भेद उसने सारे हथकंडे अपनाए। रेप पीडि़ता की सड़क हादसे में जान लेने की भी कोशिश की। मगर कामयाब नहीं हो सका। तो यह सच है कि बाकी भी ऐसे ही अपने पद का दुरुपयोग करते होंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में रेप के आरोपी तीन नेता सांसद बनने में कामयाब रहे। इसके साथ ही राज्यों के चुनाव में बलात्कार के आरोपी छह नेता विधायक बनने में कामयाब रहे। असोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल के दौरान (2010-2019) सांसदों पर महिला अपराध के दर्ज मामलों में 850 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के दौरान महिला अपराधों में आरोपी उम्मीदवारों की तादाद में 231 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। कुल मिलाकर 17 राजनीतिक पार्टियां ऐसी हैं, जिनके सांसद या विधायकों के खिलाफ महिला अपराधों के मामले दर्ज हैं। इनमें ऐसिड अटैक, रेप, यौन उत्पीडऩ, महिलाओं को देह व्यापार में धकेलना और नाबालिगों की खरीद-फरोख्त जैसे अपराध शामिल हैं। देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और भाजपा में कुल आरोपियों में से 50 प्रतिशत शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें से सभी आरोपी जनप्रतिनिधि पुरुष नहीं हैं। भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ भी हत्या की कोशिश का केस चल रहा है। कांग्रेस और भाजपा के बाद वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 7, बीजेडी के 6 और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के 5 सांसद या विधायक ऐसे मामलों में आरोपी हैं। महिला अपराध के मामले में जनप्रतिनिधियों के शामिल होने वाले राज्यों की बात की जाए तो बंगाल पहले नंबर पर है। यहां सबसे ज्यादा 16 एमपी-एमएलए आरोपी हैं। इसके अलावा ओडिशा में 12, महाराष्ट्र में 12, आंध्र प्रदेश में 8 और तेलंगाना में 5 सांसदों या विधायकों का दामन दागदार है।