सीएए: उत्तरप्रदेश में ढाई सौ उपद्रवियों की पहचान, एनएसए लगाने की तैयारी


- मुजफ्फरनगर में 50 दुकानें सील
लखनऊ। देश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच उत्तरप्रदेश में भारी बवाल और हिंसा हुई इस दौरान सार्वजनिक संपत्ति को भारी क्षति पहुंचाने वालों के विरुद्ध सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। उत्तरप्रदेश सरकार ने हिंसा के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान के आकलन के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। लखनऊ में हुई हिंसा में शामिल 250 उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने की तैयारी है। 13 हजार से ज्यादा संदिग्ध सोशल मीडिया अकाउंट की पहचान की गई है। मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने कथित उपद्रवियों से जुड़ी 50 दुकानों को सील कर दिया है। गोरखपुर में पुलिस ने उपद्रवियों की फोटो सोशल मीडिया पर जारी करते हुए पहचान बताने वालों को इनाम देने की घोषणा की है। उधर, यूपी के 25 जिलों में सोमवार तक के लिए इंटरनेट सर्विस पर पाबंदी लगा दी गई है। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यूपी में हुई हिंसा से हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर की जाएगी। सीएम के इस ऐलान के दो दिन बाद शनिवार से ही उपद्रवियों की पहचान कर नोटिस भेजना शुरू हो गया। मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 50 दुकानों को सील कर दिया है। 
जिन दुकानों को सील किया गया , उनमें ज्यादातर मीनाक्षी चौक और कच्ची सड़क इलाकों में हैं। एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया, 'हमें इस बात की पुष्टि करनी होगी कि इन दुकानों को बंद क्यों रखा गया था। दुकानों के आसपास भीड़ भी जमा हो गई थी। इस मामले में जांच जारी है।' उधर, फिरोजाबाद पुलिस भी उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है। पुलिस का कहना है कि उपद्रवियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होगी। डीएम चंद्र विजय सिंह ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अभी हम उनकी पहचान करने में जुटे हैं। वहीं, राजधानी लखनऊ में चार टीमें नुकसान के आकलन में जुटी हैं। इसके बाद उपद्रवियों पर कार्रवाई की जाएगी। बातचीत में कई जिलों के डीएम ने बताया कि उपद्रवियों की पहचान सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर की जा रही है। एक बार पहचान हो गई तो उन पर कार्रवाई सुनिश्चित है। 
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर, 2018 को राज्य सरकारों के लिए एक सख्त आदेश पारित किया था। आदेश में कहा गया था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी बनाया जाए। नुकसान की प्रतिपूर्ति उनसे ही की जाए। अदालत ने एजेंसियों को ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का हवाला इसलिए मायने रखता है क्योंकि जिला प्रशासन की इन कार्रवाइयों को अदालत में चुनौती देना करीब-करीब तय है। उधर, उत्तरप्रदेश के डीजीपी ने दावा किया है कि पुलिस की तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई है। उन्होंने कहा, 'अब तक जिन लोगों की मौत हुई है, वे क्रॉस फायरिंग में मारे गए हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्थिति साफ हो जाएगी। हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं। यदि हमारी गोलीबारी के कारण किसी की भी मृत्यु हुई तो हम न्यायिक जांच कवाएंगे और कार्रवाई करेंगे। लेकिन हमारी तरफ से कुछ नहीं हुआ है।'