सीएए-एनआरसी / लीडर वह नहीं जो हिंसा के लिए लोगों को भटकाने का काम करे: प्रदर्शनों में छात्रों के शामिल होने पर सेना प्रमुख


नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों में हिंसा को लेकर सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गुरुवार को खुलकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने प्रदर्शनों में छात्रों के शामिल होने पर कहा कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में हिंसा और आगजनी करने वाले लीडर नहीं हो सकते हैं। असल मायने में लीडरशिप आपको सही दिशा दिखाने का काम करती है। सीएए और एनआरसी के खिलाफ पिछले दिनों असम में छात्र यूनियन सड़कों पर उतरी थीं, उसके बाद दिल्ली के जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया था।


31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे जनरल रावत ने कहा, ''लीडर वह नहीं है जो लोगों को भटकाने का काम करता है। हमने देखा है कि बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेज के छात्र आगजनी और हिंसक प्रदर्शन के लिए भीड़ का हिस्सा बन रहे हैं। इस भीड़ को एक नेतृत्व प्रदान किया जा रहा है लेकिन असल मायने में यह लीडरशिप नहीं है। इसमें कई प्रकार की चीजें चाहिए। जब आप आगे बढ़ते हैं, तो हर कोई आपका अनुसरण करता है। यह इतना आसान नहीं है। यह सरल प्रतीत होता है, लेकिन यह एक बहुत ही जटिल घटना है। असल मे लीडर वह है जो आपको सही दिशा में आगे ले जाता है।”


ओवैसी और दिग्विजय ने जनरल रावत को दिया जवाब
सेना प्रमुख के बयान पर तंज कसते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “अपने कार्यालय की सीमाओं को जानना भी एक नेतृत्व ही है। नेतृत्व वह होता है जो नागरिकता को उच्च स्थान पर रखे और उस संस्था की अखडंता को बरकरार रखें जिसकी आप अगुवाई कर रहे हो।” उन्होंने कहा, “सेना प्रमुख का बयान मोदी सरकार को ही निशाना बना रहा है। हमारे प्रधानमंत्री अपने वेबसाइट पर लिखते हैं कि जब वह छात्र थे तब उन्होंने आपातकाल के दौरान प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इसके मुताबिक, सेना प्रमुख का बयान सरासर गलत है।”


कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “जनरल साहब आपकी बात से मैं सहमत हूं, लेकिन वो भी लीडर नहीं होते हैं जो अपने फॉलोवर्स को सांप्रदायिक हिंसा में शामिल होने के लिए मंजूरी देते हैं। क्या आप मुझसे सहमत हैं?”