नागरिकता बिल / 119 घंटे चर्चा के बाद सुझावों को शामिल किया; राशन कार्ड हो या नहीं, शरणार्थियों को नागरिकता देंगे: शाह


नई दिल्ली. गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बीच चर्चा के लिए नागरिकता संशोधन बिल पेश किया। शाह ने स्पष्ट किया कि यह बिल अधिकारों को छीनने वाला नहीं, बल्कि अधिकार देने वाला बिल है। उन्होंने कहा कि नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले के पास दस्तावेज हों या नहीं, उसे नागरिकता दी जाएगी। शाह ने कहा कि राशन कार्ड भी न हो, तो भी नागरिकता देंगे।


शाह बोले- मैं भी सांसद हूं, मुझे भी तो सुनिए
बिल पेश करने को लेकर सदन में वोटिंग हुई। इसके पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े। कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दल बिल का विरोध रहे हैं। शाह ने कहा, "जब दूसरे विपक्षी नेता बोल रहे थे, तब मैं चुपचाप सुन रहा था। जब मैंने बोलना शुरू किया तो बीच-बीच में उठकर लोग बोलने लगे। मैं भी सांसद हूं। मुझे भी 18 लाख लोगों ने चुना है। मुझे भी तो सुनिए।'



शाह ने सदन में बिल के प्रावधान बताए



  • शाह ने बिल के प्रावधानों के बारे में भी सदन को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह बिल तीन पड़ोसी देशों से भारत में आए अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता देने के लिए है। ऐसे अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए सरकार नियम बनाएगी। आवेदक के पास राशन कार्ड जैसे दस्तावेज नहीं हैं तो भी सरकार उसे नागरिकता देगी।

  • गृहमंत्री ने कहा- अगर किसी आवेदक को यह आशंका है कि वह अवैध तरीके से रह रहा था। नागरिकता के लिए आवेदन करने पर उस पर किसी तरह की कार्रवाई हो सकती है, तो यह आशंका गलत है। अगर उस पर कार्रवाई चल रही है, तो भी उसे आशंकित होने की जरूरत नहीं है। किसी के भड़काने पर मत जाएं। नागरिकता मिलने के साथ ही कार्रवाई जैसा पहलू पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

  • उन्होंने साफ किया- अगर कोई आवेदक नौकरी या घर जैसी कोई सुविधा ले रहा है, तो उसे भी डरने की जरूरत नहीं है। नागरिकता के लिए आवेदन करने पर उसे इन सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।

  • अमित शाह ने दावा किया कि आवेदन करने के बाद 2020 तक आवेदक भारत का नागरिक हो जाएगा। इसके साथ ही उसका नाम मतदाता सूची में भी आ जाएगा।

  • पूर्वोत्तर के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने बाने के सवाल पर शाह ने कहा- मैंने पूर्वोत्तर की 140 से ज्यादा संस्थाओं, राजनीतिक दलों से बातचीत की। इसके अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की। इनमें कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं। 119 घंटे चर्चा के बाद जो भी सुझाव आए, उन्हें बिल में शामिल किया गया। जिन्हें नहीं शामिल किया गया है, उन पर भी मैं जवाब देने को तैयार हूं।

  • "पूर्वोत्तर के लोगों के मन में भय खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। आशंकित होने की जरूरत नहीं है। अरुणाचल प्रदेश बंगाल ईस्ट फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट के तहत कवर होता है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। नगालैंड, मिजोरम इनर लाइन परमिट (भारत सरकार द्वारा जारी परमिट जो भारतीय को संरक्षित इलाके में तय समय के लिए यात्रा की इजाजत देता है) से सुरक्षित हैं। मणिपुर को इनर लाइन परमिट के तहत ला रहे हैं।'


नागरिकता कानून कब आया और इसमें क्या है?
यह कानून 1955 में आया। इसके तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 12 साल देश में रहने के बाद नागरिकता देती है। संशोधित विधेयक में यह समयावधि 6 साल करने का प्रावधान है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए किसी वैध दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।