केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने को दी मंजूरी, बजट आवंटन पर भी मुहर
नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों से रू-ब-रू करवाते सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि एनपीआर में कोई प्रूफ, कोई डॉक्युमेंट और बायोमीट्रिक की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नागरिक जो भी सूचना देंगे, वह सही मान ली जाएगी।
जनगणना का ही अपडेटेड वर्जन है NPR
जावड़ेकर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इस बार जनगणना का कार्य अंग्रेजों के जमान से हो रहा है। भारत में अब तक 15 बार जनगणना का काम हुआ है। आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत की आठ बार जनगणना करवाई थी, फिर आजादी के बाद सात जनगणना हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अब 16वीं जनगणना का काम बेहद आसान कर दिया गया है। इस बार तकनीकी की मदद ली जाएगी। एक ऐप लॉन्च होगा जिसमें नागरिक जो भी जानकारी देंगे, उन्हें बिल्कुल सही मान लिया जाएगा।
भारत में रह रहे हर व्यक्ति की गणना
जावड़ेकर ने बताया कि एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए सरकार में शुरू हुआ और सारे लोगों का रजिस्टर बना और उसके कार्ड मनमोहन सरकार ने वितरित किए थे। 2015 में इसका अपडेशन हुआ। चूंकि जनगणना का काम हर 10 साल में होता है, इसलिए 2020 में जनगणना का काम पूरा करना है। उन्होंने कहा, 'इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है, सभी राज्यों ने नोटिफिकेशन निकाले हैं, सभी राज्यों में कर्मचारियों के प्रशिक्षण हो रहे हैं। जो भी भारत में रहता है, उसकी गणना इसमें होगी।'
NPR के ये फायदे
उन्होंने कहा कि एनपीआर से सरकारी योजनाओं के सही लाभार्थियों की पहचान हो पाएगी और यह भी पता चल पाएगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंच रहा है या नहीं? जावड़ेकर ने कहा, 'आयुष्मान, उज्ज्वला, सौभाग्य जैसी योजनाओं के लिए लाभार्थियों की पहचान होगी। सभी और सही लाभार्थियों तक योजना का लाभ पहुंचे, यह सुनिश्चित हो सकेगा।' उन्होंने बताया कि बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा, मणिपुर में पीडीएस (सर्वम) के लिए एनपीआर में दर्ज जानकारी उपयोग में लाई गई। वहीं, राजस्थान में भामाशाह योजना के लिए भी इसका इस्तेमाल हुआ। जावड़ेकर ने कहा कि इसके कई अन्य फायदे भी हैं।
3941 करोड़ रु. मंजूर
बहरहाल, कैबिनेट ने इस पूरी कवायद के लिए 3941.35 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है। 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाएगा, इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया गया था। असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा।
क्या है NPR?
नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) और कुछ भी नहीं हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही नया रूप है। इसके तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।
कैसे अलग है NRC से?
NPR और NRC में अंतर है। NRC के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं, छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।
बाहरी की भी हाजिरी
बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है। NPR के जरिए लोगों का डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का मकसद है।
UPA सरकार की थी योजना
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। 2015 में इसे अपडेट किया गया था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में NPR पर भी काम शुरू हो रहा है।