कमलनाथ सरकार की योजनाओं से बढ़ रही आदिवासियों की आमदनी


मध्य प्रदेश, देश एक ऐसा राज्य है जिसकी पहचान और अस्मिता जनजातीय या वनवासी लोगों से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। इस राज्य की धरोहर और विशिष्ट संस्कृति को समृद्ध करने में यहाँ के इन मूल निवासियों का योगदान अप्रतिम है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश की कुल आबादी में आदिवासियों का हिस्सा 21.1 प्रतिशत है। कमलनाथ की अगुवाई में प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आते ही इनकी स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। कमलनाथ सरकार का उद्देश्य है कि अपने आदिवासी जनों को पिछड़ेपन और शोषण के दुष्चक्र से निकालकर पूरी आबादी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार किया जाये।


जनजातीय आबादी के बहुमुखी विकास का संकल्प
यह प्रसन्नता का विषय है कि कमलनाथ सरकार ने पिछले वर्ष राज्य की बागडोर संभालते ही बेहद गंभीरतापूर्वक इस मामले में प्रयास शुरू कर दिए। मध्य प्रदेश सरकार ने एक समग्र दृष्टिकोण के साथ जनजातीय आबादी के बहुमुखी विकास का खाका तैयार करते हुए उसका क्रियान्वयन शुरू किया है। राज्य सरकार के ये प्रयास आदिवासी शिक्षा, रोजगार, आर्थिक निर्भरता से लेकर आदिवासी संस्कृति के परिरक्षण और पोषण तक फैले हुए हैं। इसी के तहत कमलनाथ सरकार ने अब हर वर्ष 9 अगस्त को 'अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस' मनाने का भी फैसला किया है। इस दिन प्रदेश में शासकीय अवकाश की घोषणा की गई है ताकि बड़े पैमाने पर इसे समारोहपूर्वक धूमधाम से मनाया जा सके। इस वर्ष इस विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा राज्यस्तरीय समारोह में 180 करोड़ 7 लाख 58 हजार रुपये के निर्माण कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण किया गया है।


'मुख्यमंत्री मदद योजना' की शुरुआत
आदिवासी प्राय: आर्थिक संकट के कारण परिवार में जन्म या मृत्यु के अवसर पर होने वाले रीति-रिवाजों के आयोजन में संकट का अनुभव करते हैं। इसी के मद्देनजर अब 'मुख्यमंत्री मदद योजना' के अंतर्गत खाद्यान्न की मदद उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब आदिवासी परिवार में बच्चे के जन्म पर 50 किलो चावल या गेहूँ तथा किसी सदस्य की मृत्यु पर 100 किलो चावल या गेहूँ दिया जाएगा। यही नहीं, उन्हें भोजन बनाने के लिए बड़े बर्तन भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
कमलनाथ सरकार इस बात को भलीभांति समझती है कि आदिवासी बहनों को मातृत्व जैसी विशेष जरूरतों के कारण पोषाहार की विशेष आवश्यकता होती है और जिसकी पूर्ति न होने की वजह से वे प्राय: खून की कमी जैसी समस्याओं से जूझती हैं। इसके लिए मौजूदा सरकार के आदिम-जाति कल्याण विभाग द्वारा सहरिया, भारिया और बैगा जैसी विशेष पिछड़ी जनजाति समुदायों की 1.64 लाख से भी ज्यादा महिलाओं को 'विशेष पोषण आहार अनुदान योजना' का लाभ प्रदान किया गया हैं। इस उद्देश्य से राज्य की सभी महिला मुखियाओं के बैंक खाते में 197 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई गई है। प्रदेश सरकार ने इस योजना में इस वर्ष करीब 285 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।


वन उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य का प्रावधान
जनजातीय आबादी के आर्थिक क्रियाकलापों और जीविका में वनोत्पाद की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन उन्हें इसका समुचित मूल्य नहीं मिल पाता। इसलिए कमलनाथ सरकार ने तय किया है कि मध्य प्रदेश राज्य के अंदर वन उत्पादों के अंतरण खुले वन उत्पाद के मूल्य के तीन प्रतिशत के स्थान पर प्रति कारोबार 500 रुपये होंगे। इससे राज्य में वनोत्पाद का कारोबार करने वाले करीब 35 लाख वनवासी लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त तेंदूपत्ते के भुगतान की राशि में 500 रुपये मानक बोरा की बढ़ोतरी की गई है अब यह 2,000 रुपये मानक बोरा से बढ़कर 2,500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दी गई है। राज्य सरकार अन्य वन उत्पादों के मूल्य को लेकर भी ऐसी ही योजना बना रही है।
जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए परंपरागत खेती को बढ़ावा देने की भी समान रूप से आवश्यकता है।  इसी को देखते हुए आदिवासी क्षेत्रों के लिए औषधीय खेती योजना शुरू की जा रही है। इसके तहत आदिवासी लोगों को अपने भूमि पट्टों पर औषधीय खेती के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। यही नहीं, इन किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित हो, इसके लिए उनके पूरे उत्पाद को खरीदने की गारंटी भी राज्य सरकार लेगी।
यह खेद का विषय है कि मध्य प्रदेश लंबे समय से नक्सली हिंसा की चपेट में भी रहा है, विशेषकर आदिवासी इलाकों में पिछड़ेपन के कारण इस बुराई ने जड़ें जमाई हैं और कई बेकसूर नागरिक इसके शिकार हुए हैं। कमलनाथ सरकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस समस्या का स्थायी समाधान चाहती है। राज्य सरकार ने नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में संचार के सशक्त साधन विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासी इलाकों में विकास की बयार बहाकर नक्सली हिंसा की समस्या को जड़ से समाप्त करने का संकल्प जताया है। कुल मिलाकर कहें तो मध्य प्रदेश अब देश के सबसे विकसित राज्यों की कतार में शामिल होने की राह पर चल पड़ा है।