गड़हरा ग्राम की भूमि पर पर ९ सालों से क्रय विक्रय पर लगे प्रतिबंध से ग्रामीण परेशान

प्रशासन व एनटीपीस द्वारा भूअर्जन में देरी से अटका प्रोजेक्ट, खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण
सिंगरौली। जिला सिंगरौली के ग्राम पंचायत टूशा खांड  के ग्राम  गड़हारा खुर्द की रजिस्ट्री प्रतिबंधित हुये कई साल से ज्यादा हो गये।  जिससे  हजारों लोग प्रभावित हुये हैं और दर्जनों की मौते उचित इलाज की कमी से हुईं है एनटीपीसी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड सिंगरौली  ने सन 2010 में ग्राम गड़हरा  की भूमि को अपने ऐश डैम  के लिए चिन्हित किया था 2010 से 2019 तक कई बार धारा चार धारा 5 एवं भू अर्जन की अन्य कार्यवाहीया गड़हरा की जमीन के भू अर्जन के लिए 9 सालों से लगातार जारी है।  स्वाभाविक रूप से  दूसरे गांव के लोगों द्वारा इसमें कई बार विरोध भी हुआ लेकिन प्रशासन ने ग्राम गड़हरा की भूमि पर लगाया गया क्रय विक्रय पर प्रतिबंध को जारी रखा। यहां के ग्रामवासी एनटीपीसी के लिए जमीन देने को तैयार है लेकिन प्रशासन और एनटीपीसी ने भू-अर्जुन की कार्यवाही में बहुत देरी कर दी जिसका खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है किसानों ने अपनी जमीन पर लंबे चौड़े मकान मुआवजे के लालच से बनवा  दिये है। बची खुची जमीनों को अपने शाादी शुुदा बहन बेटियो  को मुआवजे के लालच से मकान बनाने के लिए दे दिए है जिसमें लंबे चौड़े घर बने हुए हैं सात-आठ सालों से कोई कृषि कार्य नहीं कर रहा है एनटीपीसी के मुआवजे के इंतजार में गांव के लोग हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं क्योंकि ७-8 सालों में न तो प्रशासन ने जमीन लेने से इनकार किया और ना ही कंपनी वालों ने कभी यह कहा कि गड़हरा की जमीन नहीं लेंगे।
 गांव वाले कलेक्ट्रेट और भूअर्जन  कार्यालय का चक्कर लगाते  रहते हैं और वहां से जानकारी मिलती रहती है कि बस एक दो महीने में भू अर्जन की कार्यवाही  संपन्न की जाएगी ।
लोग अपनी लड़कियों की शादी के लिए जमीन विक्रय हेतु कई बार आवेदन लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय जनसुनवाई में पहुंचते हैं तो वहां से यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि बस अगले महीने कार्यवाही होगी आपको मुआवजे से कुछ एडवांस रकम दे दिया जाएगा जिससे आप विवाह कर सकते हैं।  इसी तरह बीमारियों से जूझ रहे किसान आवेदन लेकर कई बार जनसुनवाईयों में और कलेक्टर से व्यक्तिगत  मिले लेकिन जमीन से प्रतिबंध नहीं हटाया गया और ना ही भू अर्जन किया गया और ना ही सहायता राशि उपलब्ध कराई गई जिससे  गांव के कई लोग असमय ही काल के गाल में समा गए जैसे राजकरन तिवारी ,केवलं मानी तिवारी  राम अनुज केवट , विनय कुमार दुबे आदि अनेक नाम है और कई लोग अभी भी केंसर जैसे  गंभीर रोगों से पीड़ित है । गांव के रामशरन दुबे को कैंसर है। इनको इलाज समय से नहीं मिल पा रहा है क्योंकि जमीन पर प्रतिबंध लगा हुआ है कई सालों से प्रतिबंध है अगर समय पर यह प्रतिबंध हटा दिया गया होता तो लोग जमीनें बेच कर सही समय पर अपना इलाज करा लिये होते। 
 ग्राम बड़हरा का निवासी विजय मल साकेत को ब्रेन ट्यूमर के इलाज  हेतु बनारस जाना पड़ा था  उसमें लगभग 7से 8  लाख खर्च हुए इसका कर्जा अभी उस पर बाकी है और उसे एनटीपीसी के मुआवजे का इंतजार है  जिससे वह कर्ज चुका सके। गांव की कई लड़कियां विवाह के लिए बैठी हुई है जिनके माता-पिता के पास जमा पूंजी नहीं बची है जिससे वह विवाह कर सके। 
ज्ञात हो कि ग्राम गड़हरा में 10 सालों से भू अर्जन की कार्यवाही चल रही है लेकिन अब जाकर पता चला है कि एनटीपीसी कहीं अन्यत्र जमीन तलाश रही है यहां के निवासियों के साथ घोर अन्याय हो रहा है 8 सालों के बाद एनटीपीसी अगर भू-अर्जन नहीं करती है ग्राम गडवारा में तो यहां की जनता के साथ घोर अन्याय होगा। 8-9 सालों में भू अर्जन नहीं होने से गांव के लोग आक्रोशित है उनका कहना है कि अगर इतने सालों के प्रतिबंध के बावजूद गड़हरा का भू-अर्जन नहीं होता है तो गांव के लोग हड़ताल करेंगे । गांव के मूल निवासी राजन प्रसाद तिवारी, अशोक पांडे नंदलाल केवट, केशव प्रसाद मिश्रा ने कहा कि एनटीपीसी और जिला प्रशासन ने यहां के गांव के भोले भाले लोगों को धोखे में रखा इसे लोग प्रभावित हुए और असमय ही मौत के मुंह में समा गए। एनटीपीसी कंपनी और जिला प्रशासन को ग्राम गढ़हरा का भू अर्जन समय रहते कर लेना चाहिए जिससे मिलने वाले मुआवजे से लोग अपना जीवन यापन रोजी रोजगार नया मकान जमीन  नया जीवन समय से शुरू कर सकें अगर एनटीपीसी ग्राम  गढ़हरा को छोड़ना चाहती है तो शीघ्र ही छोड़ दें और भूमि पर लगा प्रतिबंध शीघ्र ही हटा दें और यहां के किसानों को यहां के निवासियों को प्रतिबंध से प्रभावित हुए परिवारों को क्षतिपूर्ति प्रदान करे।