एनटीपीसी विंध्याचल में राजभाषा अनुभाग द्वारा आंचलिक काव्य गोष्ठी का आयोजन


काल चिंतन संवाददाता,
विन्ध्यनगर,सिंगरौली। एनटीपीसी-विंध्याचल के मानव संसाधन-राजभाषा अनुभाग द्वारा आंचलिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन प्रशासनिक-भवन के रामानुजन सभागार में आयोजित किया गया। परियोजना के राजभाषा अनुभाग द्वारा वर्ष भर इस प्रकार की अनेक काव्य-गोष्ठियों का आयोजन राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं परियोजना में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जाती हैं। इन काव्य-गोष्ठियों के माध्यम से परियोजना के साथ-साथ एनटीपीसी-विंध्याचल एवं आस-पास की परियोजनाओं के कर्मचारी कवियों की काव्य-प्रतिभा को सिंचित करने एवं उन्हें एक उचित मंच प्रदान करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा इस काव्य-गोष्ठी के माध्यम से जिला सिंगरौली एवं आस-पास की स्थानीय काव्य-प्रतिभाओं को भी अवसर दिया जाता है ।
काव्य गोष्ठी के आरंभ में मुख्य-अतिथि मुख्य महाप्रबंधक (विंध्याचल) श्री सुनील कुमार, महाप्रबंधक (तकनीकी सेवाएँ), श्रीमती संगीता कौशिक, महाप्रबंधक (प्रचालन), श्री अनिल कुमार एवं अन्य गणमान्य अतिथियों का अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्री स्नेहाशीष भट्टाचार्य द्वारा पुष्प गुच्छ प्रदान कर अभिनंदन किया गया। 
काव्य-गोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं गणमान्य अतिथियों द्वरा वीणा वादनी माँ सरस्वती की फोटो पर पुष्पांजली एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्चात रवीन्द्र कुमार मिश्रा एवं डॉ. बृजेन्द्र शुक्ल द्वारा भजन की सुंदर प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई । काव्य गोष्ठी का संचालन कवि योगेंद्र मिश्रा द्वारा किया गया। कवि योगेंद्र मिश्र नें तैयारी करते-करते जीना भूल गए, प्याले तो चमकाएँ, पर पीना भूल गए  एवं अन्य कवितायें जैसे गूगल पर पैदा हुये, व्हाट्स एप पर यंग तथा "हवा ही हवा है, जिधर देखो उधर ही हवा है" आदि की विभिन्न प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत लिया तथा सभी दर्शकों को बार-बार ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। काव्य-गोष्ठी के अंतर्गत अन्य कवियों ने अपने मधुर काव्य-पाठ से सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। काव्य-गोष्ठी के दौरान सुश्री ज्योति राय ज्वाला ने अपनी रचना देशहित में लिखी गई कविता ए कलम लिख जा जरा तुम, देश की हर बात को" की प्रस्तुती कर सभी के मन को मोह लिया। इसके बाद काव्य-पाठ को आगे बढ़ाते हुए कवि जमालुद्दीन जमाल नें  भाई-भाई में ठनी है लड़ाई बहना सुनाया जिसे सभी श्रोताओं के साथ-साथ कवियों की भी सराहना मिली । रवीन्द्र कुमार मिश्रा नें अपनी प्रस्तुति विशेषता के नाम पर किया बहुत अन्याय, जब आवाज बुलंद की बदल दिया पर्याय तथा वही परियोजना के वित्त विभाग में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत कवियत्री सुश्री अमिता ने अपने काव्य-पाठ मैंने फूलों को मुरझाते देखा, मैंने कोयल को आंसु बहाते देखा वाली रचना सुनकर सभी को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। तदोपरांत श्री सुजान तिवारी सिंगरौली के युवा कवि नें जीवन पर अपनी प्रस्तुति जिंदगी सभ्यताओं में दाखिल हुई, हर कदम पर काव्य-पाठ कर समा बांध दिया । इसके पश्चात श्री प्रवेश कुमार मिश्र नें अज्ञानता प्रसार पर निरोध हो सदा-सदा सुनाया जबकि वहीं डॉ. बृजेन्द्र शुक्ल नें कारखाने में कार्यरत कर्मियों से संबन्धित अपनी कविता चिमनी पर चढ़ा सुनाकर सभी को आनंद विभोर कर दिया। इसके बाद उर्मिला जायसवाल नें बेटियों के ऊपर रची कविता "क्यों खोती जा रही है ये बेटियाँ, जो बची है,वह भी गुम होती जा रही है बेटियाँ, कितनी मन्नतों से मिलती है ये बेटियाँ" प्रस्तुत की जिसकी सभी ने दिल खोल कर तारीफ की। तत्पश्चात बृजेश कुमार मौर्य नें देशभक्ति गीत "किसका है तुममे खून भरा, जो तुम दुश्मन के गुण गाते हो" पढ़ा जिसे सभी नें खूब सराहा। इस अवसर पर सभी कवियों को एनटीपीसी विंध्याचल की तरफ से गणमान्य अतिथियों द्वारा स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया गया।महाप्रबंधक (तकनीकी सेवाएँ) श्रीमती संगीता कौशिक नें अपने उद्बोधन में कहा कि सभी कवियों की रचनाएँ काफी सराहनीय हैं एवं इसे आगे बरकरार रखने हेतु नई पीढ़ियो के रचनाकारों को भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके पश्चात महाप्रबंधक (प्रचालन) श्री अनिल कुमार ने अपने उद्बोधन में राजभाषा अनुभाग द्वारा किए गए इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए सभी कवियों के काव्य-पाठ को सराहा तथा आगे भी इस तरह का आयोजन किए जाने हेतु बल दिया।कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रबन्धक (मानव संसाधन) श्री एल एम पाण्डेय एवं धन्यवाद-ज्ञापन सहायक प्रबन्धक (मानव संसाधन-राजभाषा) श्री संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया।