दिव्यांगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनेंगे सांसद, विशेष कार्यशाला में दिया जाएगा प्रशिक्षण


 


नई दिल्ली



देश के माननीय सांसदों को दिव्यांग जनों की समस्याओं और उनकी भावनाओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जा सकती हैं। संसद के दोनों सदनों के महासचिवों ने इसके प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाई है और इसे प्राथमिकता से संपन्न कराने का भरोसा दिया है। यह प्रयास दिव्यांगजन आयुक्त कार्यालय दिल्ली की पहल के बाद किया जा रहा है।झारखंड के एक जनप्रतिनिधि के दिव्यांगों के लिए कुछ आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करने के बाद आयुक्त कार्यालय ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया और देश के जनप्रतिनिधियों को दिव्यांगों की समस्याओं के प्रति जागरुक बनाने का विचार किया। यह कार्यक्रम इसी कड़ी में देखा जा सकता है। इसी वर्ष दिल्ली विधानसभा के सदस्यों को दिव्यांगों की समस्याओं के प्रति जागरुक किया जा चुका है।
दिव्यांगजन आयुक्त कार्यालय के आयुक्त टीडी धारियाल ने अमर उजाला को बताया कि जनप्रतिनिधियों की पहुंच व्यापक जनता तक होती है। उनकी बातों का लोग अनुसरण भी करते हैं। इसलिए अगर एक सांसद को दिव्यांगों की समस्याओं के प्रति जागरुक किया जाता है, तो उनके माध्यम से उनके क्षेत्र की जनता को भी जागरुक बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों ने इसके प्रति काफी संवेदनशीलता दिखाई है और जल्दी ही सांसदों के लिए इस तरह की कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
टीडी धारियाल के मुताबिक सांसदों के ज्यादा जागरुक होने से उनके प्रति कानून बनाए जाने के मामलों में भी संवेदनशीलता आएगी। उन्होंने कहा कि देश में संसाधनों की कमी नहीं है। ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि लोग भवन निर्माण करते समय या शब्दों का इस्तेमाल करते समय दिव्यांगों की समस्याओं के प्रति उदासीन रहते हैं। ऐसा वे दिव्यांगों के प्रति उपेक्षा के कारण नहीं, बल्कि जागरुक न होने की वजह से करते हैं। ऐसे में व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान लोगों को इसके प्रति संवेदनशील बनाने में मदद करेगा।