देखिये सिंगरौली पत्रकारिता के काले पतित चेहरे-दिनेश पाण्डेय

 




 सिंगरौली:-- जन सरोकारों से दूर  "हकीकत के आईने" पर कालिख पोतती  सिंगरौली के मीडिया का काला पतित चेहरा देखने को मिला है जिसने आम आवाम में पूरे पत्रकारिता को कटघरे में खड़ा करते हुए अपनी विश्वस्नीयता का संकट पैदा कर पेयी खबरी की पहचान बना लिया है।
 सिंगरौली आज भले ही गांव से शहर और शहर से देश की उर्जाधनी से मिनीभारत होने तक पांच दशकों में सफर तय कर दुनिया के मानचित्र में अपना गौरवमयी स्थान बनाने में सफलता अर्जित कर लिया हो परन्तु इस जिले के पत्रकारिता ने उतना ही उल्टा मिशन से कमीशन और कमीशन से पेयी खबरी तक का सफर तय करते हुए अपने चेहरे को काला एवं पतित चेहरे में परिवर्तित कर बाजार में बिकाऊ की पहचान बना के पत्रकारिता को चाटुकरिता में बदल कर उसके वेदाग चेहरे को काला करते हुए मिशन को पतित कर दिया है।
यहा सरजमी की मिट्टी, धूल,कण, पेड़,पौधे,पसु,पछी हर चीज पर फक्र कर सकते है। मगर यहाँ के मीडिया पर फक्र आज कोई नहीं कर  सकता।क्योंकि यहाँ की मीडिया पेड न्यूज हो चुकी है।सिंगरौली जिले की मीडिया पेड न्यूज वालो के चंगुल में ऐसे फस चुकी है कि यहाँ से निकलना नामुमकिन है। कुछ मीडिया वालो को छोड़ दिया जाय तो कमोबेश  यहाँ के सभी मीडिया वालो का यही हाल है।इन्होंने ऐसा अपना कला पतित चेहरा बना कर रखा है कि लोग इनसे भय खाते हैं और हिकारत भरी नजरों से इन्हें अब देखने लगे हैं जिसका शिकार वास्तव में वह पत्रकार भी हो रहा है जो पत्रकारिता को मिशन और जनसरोकारों के लिए एवं जनता और शासन प्रशासन में बीच की कड़ी बन हकीकत का आईना बनने का काम आज भी कर रहा है जिनकी संख्या भले ही कम हो लेकिन आज भी है तभी पत्रकारिता की नींव हिलने के बाद भी इमारत धराशायी होने से बची है।
 लेकिन कुछ कथित मीडिया कर्मी जो कलम को जीवकोपार्जन का माध्यम बना लिए है जिसके चलते अपनी जमीर को मार दिए हैं का परिणाम है कि लोगो का आत्म विश्वास ही तोड़ दिया है।आपको ज्ञात होगा कि अभी कुछ दिनो पहले एक खबर प्रकाशित हुई थी कि कोतवाली क्षेत्र के उर्ती गांव में अन्तराज्जीय जुये की जम रही है फड़,प्रतिदिन हो रहे लाखो के वारे न्यारे,की ख़बर से बौखलाई कोतवाली पुलिस ने आनन फानन में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करती है जिसमे लिखा होता है कि मीडिया में प्रकाशित खबर गलत व तथ्यहीन है,इतना ही नही वल्कि कोतवाली पुलिस ने कुछ पेयी खवर्चियों  के सहारे पत्रकारो को दलाल तक की संज्ञा दे डाली और इसके एवज में एक अच्छी खासी मोटी रकम खर्च कर  अखबारों में छपे ख़बर का जम कर प्रतिरोध करवाया गया जिसमें जमीरहिन पेयी खबरियों का भी अपना कला पतित चेहरा उजागर हो गया।वाह रे सिंगरौली की मीडिया हक़ीकत के आईने को ढक जरायम का साथ देते हुए उनके कंधों से कंधा मिलाकर चलने का काम किया जिसने न जाने कितने घर,परिवार को बर्बाद और तबाह कर दिया है।जन सरोकारों से दूर आम जन की आवाज बनने के बजाय सिंगरौली की मीडिया कोतवाली की चौखट पर दम घुटती नजर आने लगी।एक वक्त था जब कोतवाल पत्रकार के कार्यालय में जाया करते थे ।एक यह वक्त भी आगया जब पत्रकार कोतवाल के कार्यालय पर पहुँच गर्व महशुस करने लगे है। यही काले पतित चेहरे वाले पेयी खबरियों ने पत्रकारिता को कलंकित कर के रख दिया है जिनके चलते आज पत्रकारिता के समक्ष विश्वसनीयता का आज संकट खड़ा होगया हैं।इन पत्रकारो को समझिए,इन्हें पहचानिए और इनसे सावधान रहिए वरना आने वाला समय पत्रकारो के समक्ष गहरा संकट न खड़ा कर दे कि संभावना से इनकार नही किया जासकता हैं।