बांग्लादेश की साफगोई


देश में नागरिकता संशोधन कानून (कैब) पर मचे बवाल के बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्री डा. एके अब्दुल मोमिन ने भारत से कहा है कि अगर कोई भी बांग्लादेशी अवैध रूप से वहां रह रहा है तो बताएं, हम उसे वापस बुलाएंगे। मोमिन ने यह बात ढाका में भारतीय उच्चायुक्त के साथ बैठक के बाद कही। उन्होंने भारत के साथ बांग्ला देश के 'मधुर' संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि निराशा की कोई बात नहीं है। बांग्ला देश के नागरिकों को स्वदेश लौटने का अधिकार है। मोमिन ने एक बात और कही कि जो भारतीय बांग्ला देश में अवैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें भारत भेजा जाएगा। हालांकि उन्होंने कैब पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं मोमिन ने यह दावा भी किया कि भारतीय नागरिक बांग्लादेश में भारत की तुलना में अच्छी अर्थव्यवस्था और मुफ्त भोजन के लिए आ रहे हैं। जो यहां आ रहे हैं, उन्हें नौकरियां मिल रही हैं। बता दें कि आज मोमिन जिस तरह की बात कर वाहवाही लूटने की ताक में दिख रहे हैं, उन्होंने कैब कानून संसद में पारित होने के बाद भारत में शुरू हुए हंगामे के बाद अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। मोमिन 12 से 14 दिसंबर तक अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत दौरे पर आने वाले थे। बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज़्जमान खान की यात्रा भी रद्द हो गई है। वे 13 दिसंबर को भारत आने वाले थे।  
यह सही है कि जबसे बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार सत्ता में है, भारत-बांग्ला देश के रिश्ते तुलनात्मक रूप से काफी अच्छे और समझदारीपूर्ण हैं। कुछ विवाद हुए भी हैं तो उन्हें बैठकर सुलझा लिया गया है। लेकिन दूसरी तरफ भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीडऩ का जिक्र किए जाने के बाद हसीना सरकार पर वहां के विपक्ष ने हमले तेज कर दिए हैं। बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत के असम राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) से बांग्लादेश की आजादी और संप्रभुता को खतरा है। क्योंकि यह यह न सिर्फ बांग्लादेश पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को अस्थिर कर देगा। यह संघर्ष और हिंसा को बढ़ावा देगा।
आलमगीर के बयान को अतिरंजित मानकर अलग रखें तो भी वहां के विदेश मंत्री ने जो कहा है, उस पर गौर जरूरी है। पहली नजर में मोमिन का बयान सौहार्द्रपूर्ण और वाजिब लगता है क्योंकि जो बांग्लादेशी अवैध तरीके से भारत में आए हैं, भारत अगर उन्हें लौटाता है तो बांग्लादेश उन्हें वापस ले लेगा। लेकिन तब, जब भारत इसकी सूची विधिवत बांग्लादेश को देगा। बांग्लादेश की आबादी वास्तव में कितनी है, इसके बहुत विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं है। लेकिनवहां की जनसंख्या लगभग 16 करोड़ 29 लाख मानी जाती है। इनमें भी सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू है, जिसकी आबादी करीब 1 करोड़ 30 लाख है। कुछ बौद्ध और ईसाई भी हैं। 90 फीसदी आबादी मुसलमान है। पहली नजर में मोमिन का बयान सौजन्यता भरा लगता है। इसलिए क्योंकि पहले तो बांग्ला देश यह मानने को ही तैयार नहीं था कि उसके नागरिक भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं। लेकिन कैब के बाद उसने इतना तो माना कि अगर कोई अवैध बांग्लादेशी नागरिक भारत में है तो बांग्लादेश उसे वापस लेने को तैयार है। अगर सच में ऐसा हुआ तो भारत जिन अवैध मुस्लिम बांग्लादेशियों को वापस भेजना चाहता है, उनकी घर वापसी सुगम हो जाएगी और ऐसा करने में किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए।
लेकिन इस सौजन्यपूर्ण बयान में जो खतरे छिपे हैं, उस पर शायद किसी का ध्यान नहीं है। अगर भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी मुसलमान शरणार्थियों को बांग्ला देश ने वापस लेना शुरू किया तो कल को बांग्लादेश में बाकी बचे हिंदुओं का उत्पीडऩ तेज हो सकता है। इस आधार पर कि जब भारत हिंदुओं को ले ही रहा है तो क्यों न बाकी हिंदुओं को भी वहां रवाना कर दिया जाए। इस बात की क्या गारंटी है कि जो मुसलमान यहां से निकाले जाएंगे, वो स्वदेश लौटने के बाद वहां जाकर चुपचाप दाल-रोटी खाने लगेंगे। दुर्भाग्य से ऐसा हुआ तो धर्म के आधार पर देश के विभाजन का दूसरा और अंतिम चरण शुरू हो जाएगा। फिर से बड़े पैमाने पर धर्म की बुनियाद पर लोगों की अदलाबदली शुरू होगी और यह शांतिपूर्ण और राजी खुशी से होगी इसका दावा कोई नहीं कर सकता। हालांकि अभी यह मान लेना जल्दबाजी होगी कि बांग्लादेश के सारे हिंदू भारत आना चाहेंगे क्योंकि बांग्लादेश नहीं मानता कि उनके यहां अल्पसंख्यक हिंदुओं का उत्पीडऩ हो रहा है।