संयुक्त मोर्चा के तत्वधान में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कलेक्टर सिंगरौली को महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन 


सिंगरौली। नागरिक संशोधन विधेयक बिल के विरोध में सामाजिक संगठन संयुक्त मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए  राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सिंगरौली कलेक्टर को सौंपा । इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि भाजपा सरकार देश में मनुवाद स्थापित करना चाहती है जिससे ओबीसी एससी एसटी एवं अल्पसंख्यक समुदाय के हक में बने संविधान में संशोधन कर विकास से पीछे धकेलना चाहती है वक्ताओं ने कहा कि केंद्र कि भाजपा सरकार हिटलर शाही का नमूना पेश कर रही है जिससे देश में सामाजिकविखराव कि स्थिति बन रही है ऐसे में सभी जाति धर्म वर्ग संप्रदाय के लोगों को एकजुट होकर केंद्र सरकार की नीति और नीयत का विरोध करना पड़ रहा है। इस मौके पर अशरफ अली अंसारी कुंदन पांडेय अन्नू पटेल संदीप शाह आरके वर्मा शाहिद हुसैन रिंकू सहित तमाम वक्ताओं ने अपनी बातें रखी। 
संयुक्त मोर्चे द्वारा ज्ञापन सौंपते हुये कहा गया कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 में धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है, जो कि संविधान के मूल भावना के विरूद्ध है और मौलिक अधिकारों का हनन् है तथा संविधान की अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। नागरिकता संशोधन कानून 2019 में केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेष के शरणार्थियों में इस्लाम धर्म को छोड़कर अन्य धर्मों के अल्प संख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जो साम्प्रदायिक भेदभाव पूर्ण है और भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के विरूद्ध है। नागरिकता संशोधन कानून 2019 में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है, जिससे विदेषी नागरिकों, शरणार्थियों की पहचान की जा सके। असम का अनुभव हमें बताता है कि जो अपने नागरिकता के दस्तावेजी प्रमाण-पत्र नहीं दे सकता, वह विदेशी है। इससे कई तरह के सवाल उठते हैं, नागरिकता संशोधन कानून 2019 के अनुसार केवल तीन देषों के धार्मिक अल्प संख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता से वंचित ऐसे भारतीयों को किस देष का और किस आधार पर नागरिक मानकर उनकी नागरिकता का फैसला किया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है। उनका क्या होगा, जो तीन देषों के धार्मिक अल्प संख्यक नहीं होंगे। असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में डिटेंषन कैम्पों में बंद भारतीय नागरिकों को तत्काल आजाद किया जाय एवं निष्पक्ष और मानवीय मूल्यों के आधार पर फैसला किया जाय। 
 संयुक्त मोर्चे द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय से अपील किया गया है ,कि उक्त नागरिकता संशोधन कानून 2019 पर पुनर्विचार करते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के परिपालन में उक्त नागरिकता संशोधन कानून 2019 को वापस लेने का निर्णय लिया जाय।