राइट-टू-वॉटर की उम्मीदें रंग लायेगी,  हर घर में नल से जल पहुंचाऐगी : कांग्रेस

- 'एक साल-प्रदेश खुशहाल'




भोपाल । लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी विभाग मंत्री  सुखदेव पांसे एवं प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने राजधानी भोपाल में एक संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि  सनातन समय से हमने जल के महत्व को हमेशा से प्राथमिकता दी है। यहां तक कि हम जल को देव स्वरूप पूजते आये हैं। जल के देवता के रूप में वरूणदेव हमारे आराध्य हैं। ऋग्वेद का सातवां मण्डल वरूणदेवता को समर्पित है, उसमें कहा गया है कि किसी भी रूप में उनका दुरूपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसका आशय साफ है कि जल के प्रति हमारी जागरूकता वैदिक काल से ही रही है। हम कहते आये हैं कि 'जल है तो जीवन है।' मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को इस बात का गौरव हासिल होने वाला है कि वे देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो अपने प्रदेशवासियों को पानी का कानूनी अधिकार सौंपने जा रहे हैं (राइट-टू-वॉटर)। 
बीते वर्षों में मध्यप्रदेश में, खासकर ग्रामीण अंचलों से गर्मियों में पानी की अनुपलब्धता को लेकर त्राहिमाम के स्वर अक्सर सुनाई देते थे। पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता की प्रतिपूर्ति न होने से गांवों के पलायन की खबरों की सुर्खियां मध्यप्रदेश के भाल पर चिंता की लकीरें डाल देती थी। मगर यशस्वी मुख्यमंत्री कमल नाथ की सरकार के कुशल प्रबंधन का प्रभाव था कि भीषणतम गर्मी के बावजूद भी इस वर्ष कोई स्वर पानी की कमी को लेकर मुखर नहीं हुआ। क्योंकि जहां भी पानी की परेशानी को लेकर कोई बात सामने आती थी, तब तत्काल हम उसका समाधान सुनिश्चित करते थे। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 88 लाख आबादी ग्रामीण क्षेत्रों की 128231 बसाहटों में निवास करती है। हमारी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों मंे पानी की उपलब्धता को लेकर जब जानकारी एकत्र की तो ज्ञात हुआ कि मात्र 12 फीसदी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है। तब हमने संकल्प लिया कि हम प्रदेश के प्रत्येक परिवार को उसकी पानी की आवश्यकता के अनुरूप जल उपलब्ध करायेंगे और इसी के दृष्टिगत हम पानी का कानूनी अधिकार लेकर आने वाले हैं।


हर घर में पहुंचेगा नल से जल 
मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता को लेकर हमने 68 हजार करोड़ रूपये की एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। जिससे प्रदेश के सभी गांवों के प्रत्येक घरों में हम नल से जल पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्तमान में हमने 19 समूह जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर 802 गांवों की लगभग 11 लाख 45 हजार जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से जल प्रदान प्रारंभ कर दिया है। इसके अतिरिक्त 6672 करोड़ रूपये लागत की 39 योजनाओं के कार्य प्रगतिरत हैं। इन योजनाओं के कार्य आगामी 2 वर्षों में पूर्ण होना लक्षित हैं, जिससे 6091 ग्रामों की लगभग 64 लाख आबादी लाभान्वित होगी। हमारे द्वारा विभिन्न जिलांे के 14510 ग्रामों की 45 समूह जल प्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसकी लागत 22484 करोड़ रूपये है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से लगभग एक करोड़ आबादी लाभान्वित हो सकेगी।


बेहतर पेयजल योजनाओं की बात-आईआईटी दिल्ली के साथ 
राज्य की पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग हेतु देश के अग्रणी भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली से अनुबंध किया गया है। समूचे प्रदेश में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक एवं नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु पहल की गई है। न्यू डेवलपमेंट बैंक से विभाग को 4500 करोड़ रूपये की योजनाओं की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। साथ ही जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के समस्त एवं रतलाम जिले के आलोट विकासखंड के कुल 1735 ग्रामों के लिए समूह पेयजल योजना हेतु ऋण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, इस योजना को अतिशीघ्र आकार दिया जायेगा।


उपलब्धियों भरा साल-बेमिसाल 
साथियों, इतना ही नहीं अब तक हमने बीते 11 माह में 6 हजार से अधिक नवीन हैण्डपंप स्थापित किये है, 600 से अधिक नवीन नलजल योजनाओं के कार्य पूर्ण कराकर इन योजनाओं से पेयजल प्रदाय प्रारंभ कर दिया गया है, 6 हजार 7 सौ से अधिक सिंगल फेस मोटर पंप भी स्थापित किये हैं, पूर्व सरकार की लगभग 3 हजार बंद नल-जल योजनाओं को भी पुनः चालू किया है। पूर्व सरकार के समय बंद हैण्डपंपों को भी एक विशेष अभियान चलाकर 3 लाख 12 हजार से अधिक हैण्डपंपों में सुधार कर पुनः चालू किया गया है। वहीं 65 हजार से अधिक हैण्डपंपों में लगभग 3.50 लाख मीटर राईजर पाईप बढ़ाकर/ बदल कर हैण्डपंपों को सतत् रूप से चालू रखा गया है।


शक्तिविहीन केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय 
दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जहां एक ओर मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार पूरी दृढ़इच्छा शक्ति के साथ प्रदेश की पानी की आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति के लिए समुचित प्रयास कर रही है, वहीं भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आगामी पॉच वर्षों में सम्पूर्ण देश के प्रत्येक घर को नल कनेक्शन देने के बड़े-बड़े वादे तो किये, मगर अब तक उन्होंने इसकी न तो गाईड लाईन जारी की न ही कोई राशि की व्यवस्था की है।


राईट-टू-वाॅटर: देश में पहली बार पानी का कानूनी अधिकार 
पर्याप्त पानी, पीने योग्य पानी और पहुंच में पानी। इसी मूल मंत्र के साथ हमने राईट-टू-वॉटर एक्ट का ड्राफ्ट, विषय विशेषज्ञों एवं सभी संबंधित विभागों से सामंजस्य स्थापित कर तैयार किया है। हम आगामी विधानसभा सत्र में इस एक्ट को प्रस्तुत करने की हर संभव कोशिश करेंगे। इस एक्ट के दृष्टिगत इस वित्तीय वर्ष के बजट में भी 1000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। हमारी सरकार द्वारा पेयजल की उपलब्धता सुलभ करने हेतु नई नीति तैयार की गई है। जिसके अनुसार ऐसी बसाहटों में जिनमें ग्रीष्मऋतु में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें भी नवीन हैण्डपंप स्थापित किये जाने का प्रावधान नई नीति में किया है। पूर्व की नीति अनुसार किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान था, जिसे कम कर 300 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान भी नवीन नीति में किया गया है, जिससे हमारी माताओं-बहिनों को पेयजल के लिये दूर तक नहीं जाना पड़ेगा। नवीन नीति में हैण्डपंप स्थापना हेतु ग्रामों के चयन में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को प्राथमिकता देने का भी प्रावधान किया गया है जिससे वंचित तपके को प्राथमिकता के आधार पर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।


पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की गलत नीतियों में किया सुधार 
ग्रामीण क्षेत्रों में नलजल योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु पूर्व सरकार द्वारा लागू नीति अनुसार केवल जनसंख्या के मान से बड़े ग्रामों में ही नवीन नलजल योजना का क्रियान्वयन किया जा सकता था। इस नीति के कारण पेयजल समस्या मूलक ऐसे ग्राम जिनमें नलजल योजना के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराना संभव हो सकता था, उनमें नवीन नलजल योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाता था। हमारी सरकार द्वारा नलजल योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु नीति का सरलीकरण किया है, जिससे बड़े ग्रामों के साथ-साथ ऐसे ग्राम जिनमें ग्रीष्मऋतु में पेयजल की समस्या उत्पन्न होती है, उनमे भी नलजल योजना का क्रियान्वयन किया जा सकेगा।


कर्मचारियों का रखा ख्याल 
विभाग में वर्षों से कार्यरत 500 से अधिक संविदा कर्मचारियों के अनुबंध में स्थानांतरण का कोई प्रावधान न होने के कारण इनका स्थानांतरण नहीं हो पाता था। इन कर्मचारियों की समस्या पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर इनके स्थानांतरण हेतु एक नीति बनाकर उनके स्वयं के आवेदन पर रिक्त पदों अथवा आपसी सहमति से उनकी पदस्थापना में परिवर्तन किया गया, ताकि ये कर्मचारी अपने परिवार के दायित्वों का भी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन कर सकें। इतना ही नहीं संविदा कर्मचारियों द्वारा वर्षों से यह मांग की जा रही थी कि उनके राष्ट्रीय पेंशन योजना (एन.पी.एस.) का खाता खोला जाये जिससे उनके सेवानिवृत्त होने पर उन्हें उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। सरकार द्वारा इन संविदा कर्मचारियों के एन.पी.एस. खाते खोलने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। एन.पी.एस. में संविदा कर्मचारियों द्वारा 10 प्रतिशत का अंशदान दिया जायेगा जबकि हमारी सरकार द्वारा 10 प्रतिशत अंशदान दिया जायेगा। अंततः पत्रकार साथियों, मैं उन सौभाग्यशाली मंत्रियों में से हूं, जिसको प्रदेश के ग्रामवासियों की पानी की आवश्यकता की प्रतिपूर्ति के पुण्य संकल्पों को पूरा करने का अवसर यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के द्वारा प्रदान किया गया है। मैं आपके माध्यम से प्रदेशवासियों तक अपनी इस प्रतिज्ञा को व्यक्त करता हूं कि मैं हर संभव कोशिश करूंगा कि जल्द से जल्द प्रदेश के प्रत्येक ग्राम के हर घर में शुद्ध जल नल के माध्यम से पहुंचा पाऊं।