लाखों ग्रामीण आज भी कच्चे मकानों-झोपडों में 

प्रधानमंत्री आवास योजना का नहीं मिला लाभ 
भोपाल । मप्र के ग्रामीण अंचलों में आज लाखों परिवार कच्चे मकानों एवं झोपडों में जीवन व्यापन करने को मजबूर है। ऐसे परिवारों की संख्या तकरीबन 39 लाख से ज्यादा बताई जा रही है। गत वर्ष 2016 में आई प्रधानमंत्री आवास योजना भी इन परिवारों की तकदीर नहीं बदल पाई है। राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में ऐसे 31 लाख परिवार तलाशे थे, जिनके पास पक्के मकान नहीं हैं। बाद में शिकायतें हुईं कि बड़ी संख्या में ऐसे परिवार सर्वे से छूट गए हैं। सरकार ने दोबारा सर्वे कराया, तो 39 लाख परिवारों की सूची बन गई। अब इन परिवारों को पक्के मकान दिलाने की मशक्कत शुरू हुई है।राज्य सरकार ने इन परिवारों की सूची एप प्लस आवास पोर्टल पर अपलोड की है और परिवारों को पक्के आवास उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार से 48 हजार करोड़ रुपए की मांग की है।  पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने परिवारों की सूची एप प्लस पोर्टल पर अपलोड कर दी है। साथ ही केंद्र सरकार ने इन परिवारों को पक्के मकान बनाने के लिए 48 हजार करोड़ की मांग कर दी है। विभाग के सूत्र बताते हैं कि अभी तक केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। 
 उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित हितग्राही को एक लाख 20 हजार रुपए और पहाड़ी क्षेत्र में मकान निर्माण के लिए एक लाख 30 हजार रुपए दिए जाते हैं। सामाजिक एवं आर्थिक सर्वे 2011 के आधार पर वर्ष 2016 में ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार कच्चे मकान या झोपड़ी में रहने वाले परिवारों का सर्वे किया गया था। तब ऐसे 31 लाख परिवार मिले थे। इनमें से 13.70 लाख परिवारों को राशि देकर पक्के मकान बनवा दिए गए हैं। वहीं, छह लाख से ज्यादा परिवारों को राशि देकर मकान निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया है, जो जून 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है।जबकि शेष 11 लाख परिवारों को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। मकान के लिए राशि मंजूर होने के बाद भी इन परिवारों को मकान निर्माण शुरू करने के लिए राशि नहीं मिल रही है। विभाग ने वित्त विभाग को दो हजार करोड़ रुपए का प्रस्ताव सवा माह पहले भेजा है, लेकिन अब तक राशि देने के संकेत नहीं मिले हैं। इस बारे में प्रधानमंत्री आवास मिशन के संचालक डॉ दिलीप कुमार का कहना है कि दोबारा कराए गए सर्वे में 39 लाख पात्र ग्रामीण पाए गए हैं। जिनके नाम पोर्टल पर अपलोड कर दिए गए हैं।